फतेहपुर। यूपी के फतेहपुर की फरहत फातिमा को आखिरकार 12 साल बाद इंसाफ मिल गया। एकतरफा प्यार से इंकार पर चचेरी बहन के सात टुकड़े करने वाले भाई को अपर सत्र कोर्ट प्रथम ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
सदर कोतवाली क्षेत्र के मसवानी मोहल्ले निवासी कमरूल हुदा की बेटी फरहत फातिमा उर्फ जीनत (28) की हत्या के मामले में जज अखिलेश कुमार पांडेय ने आरोपी इरफान उर्फ गुड्डू को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 32,400 रुपये का अर्थदंड लगाया। कोर्ट का फैसला आने के बाद फातिमा के पिता कमरुल हुदा रोने लगे। उन्होंने कहा, मेरी बेटी को इंसाफ के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ा। हालांकि देर ही सही पर वो जीत गई। आज मेरी बेटी की आत्मा को शांति जरूर मिलेगी। इस मामले में सहायक शासकीय अधिवक्ता रहस बिहारी श्रीवास्तव ने बताया कि फातिमा के अब्बू चाहते हैं आरोपी को फांसी की सजा हो। उनका कहना है, इतने बड़े अपराध की सजा मौत है लेकिन फिर भी वो कोर्ट के फैसले से सहमत हैं। अर्थदंड की 32,400 राशि फातिमा के परिवार को दी जाएगी।
साल 2011 में हुई थी हत्या
कमरूल हुदा की बेटी फरहत फातिमा उर्फ जीनत (28) बीएड कर चुकी थी। घटना के वक्त वह यूपीएससी की तैयारी कर रही थी। 29 अगस्त 2011 को फातिमा दवा लेने साइकिल से घर से निकली थी फिर लौटकर नहीं आई थी। कमरूल कहते हैं कि रात तक बेटी नहीं आई तो चिंता होने लगी। मेरे पड़ोस में ही मेरे छोटे भाई का बेटा इरफान रहता था। वो भी जानकारी मिलते ही मौके पर आ गया और बेटी की तलाश में जुट गया। लेकिन किसी को मेरी बेटी नहीं मिली। सब जगह उसको ढूंढा। रिश्तेदारी, दोस्त सबके यहां जाकर पता किया लेकिन कहीं भी मेरी बेटी नहीं थी। बाद में थककर पुलिस को मामले की जानकारी दी।
पुलिस ने बेटी के फोन से खोले सारे राज
8 सितंबर को पुलिस से शिकायत करने के बाद वो छानबीन के लिए घर आई थी। जांच के बीच पुलिस ने 9 सितंबर को इरफान को हिरासत में लिया। पहले तो हम लोग कुछ समझ नहीं पाए। बाद में पुलिस ने बेटी का फोन जब बरामद किया तो सारे राज खुलने लगे। पुलिस को बेटी के फोन में इरफान के मैसेज मिले, कॉल पर भी काफी देर तक बात हुई थी दोनों की। जिसके बाद पुलिस ने इरफान से सख्ती से पूछताछ की तो उसने सच उगल दिया।
उसकी निशानदेही पर आठ सितंबर 2011 को पक्का तालाब रोड स्थित पुलिया के नीचे से फातिमा के सात टुकड़े बरामद हुए थे। टुकड़ों को अलग-अलग स्थानों पर मिट्टी में आरोपी ने दफन किया था। प्लास्टिक की बोरी में युवती का पर्स, एक जोड़ी चप्पल मिली थी। घटना में प्रयुक्त चाकू पुलिस ने आरोपी के घर से बरामद किया।
काश जिन्दा होती बेटी
फातिमा के पिता का कहना है कि इरफान मेरी बेटी पर शादी का दबाव बना रहा था। वो उसको परेशान कर रहा था। कई सालों से मेरी बेटी ये सब झेल रही थी, लेकिन बदनामी के डर से उसने हम लोगों से कभी कुछ नहीं कहा। वो इरफान की बात नहीं मान रही थी। काश वो हमें ये सब बता देती तो आज मेरी बेटी जिंदा होती।
कैसे घटना को अंजाम दिया
आरोपी इरफान ने पुलिस को बताया था कि वो चमड़े की सप्लाई का काम करता था। उसके पास चमड़ा काटने के सारे औजार रहते थे। वो बहुत दिनों से फातिमा को साथ रहने के लिए बोल रहा था। उस पर शादी के लिए दबाव बना रहा था लेकिन वो मान नहीं रही थी। तभी उसने उसको मारने का प्लान बना लिया था।
इरफान ने पुलिस को बताया कि मैंने घर पर पहले से ही चापड़ लाकर रख लिया था। जब वो नहीं मानी तो उसके सिर पर पहले वार किया। जब वो गिर गई तो उसके शरीर के चापड़ से 7 टुकड़े किए। उसका सारा सामान और शरीर के टुकड़े 2 बोरे में भर दिए। फिर जमीन का खून भी साफ कर दिया। उसके बाद घर से बाहर निकल गया। मैंने चमड़े की सप्लाई करने के बहाने 4 दिनों के अंदर दोनों बोरों को ठिकाने लगा दिया।
हर रात बोरे में शव के टुकड़े लेकर जाता था इरफान
इरफान ने जीनत की हत्या घर के पीछे वाले कमरे में की थी। उसके बाद चार दिन तक शव को घर में ही छिपाए रखे थ। हालाँकि शक के आधार पर जीनत की तलाश में परिवार के लोग उसके घर भी गए थे लेकिन पीछे के कमरे की तलाशी नहीं ली थी। आरोपी के एक चाचा की लालाबाजार में सूतफेनी, खजूर की दुकान है। दुकान का गोदाम भी इरफान के घर के बगल में बना है। वारदात के बाद सामने रहने वाले परिवार के लोग रात और भोर पहर इरफान को बोरी कुछ लेकर जाते देखते थे। वह यह मानते रहे कि रमजान की वजह से गोदाम से दुकान में माल की सप्लाई देने इरफान निकला होगा। जबकि वह शव के टुकड़े ठिकाने लगाने जाता था। मसवानी मोहल्ले का मकान भी इरफान के परिजनों ने बेच दिया है।
बेटी को न्याय दिलाने में पिता की छूट गई नौकरी
बेटी की नृशंस हत्या के बाद पिता कमरूल हुदा टूट गए थे। हत्याकांड को अंजाम भी अपनों ने ही दिया था। बेटी के इंसाफ के लिए 12 साल लड़ाई लड़ी। उनकी नौकरी भी छूट गई। जिला अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक आरोपी विरोध में पैरवी करते रहे। पिता बोले कि आरोपी को फांसी मिलनी चाहिए थे। फिर भी कोर्ट के आदेश से सहमत हैं। मसवानी मोहल्ले का कमरूल हुदा का परिवार शिक्षित और संभ्रांत है। कमरूल ने बताया कि बेटी की हत्या के बाद उन्होंने नौकरी पर जाना बंद कर दिया था। नौकरी के चलते पैरोकारी नहीं कर पा रहे थे। जिला अदालत से लेकर हाईकोर्ट इलाहाबाद तक आरोपी के विरुद्घ पैरोकारी की। बेटी के कातिल सजा मिली है। इंसाफ मिलने से परिवार को तसल्ली हुई है।
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