दिल्ली। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अंग्रेज भारत छोड़ गए और अब जरूरत है भारत के इतिहास को भारत के नजरिए से लिखा जाए। उन्होंने कहा कि पीएम जब यह कहते हैं कि औपनिवेशिक निशान नहीं रहना चाहिए तो इसका अर्थ है इतिहास को भी उनकी पकड़ से आजाद किया जाए।
अर्थशास्त्री संजीव सान्याल की पुस्तक ‘रिवाल्यूशनरीज’ के विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए अमित शाह ने अभी तक भारत के इतिहास को एक ही दृष्टिकोण से थोपे जाने का आरोप लगाया, जिसमें आजादी की लड़ाई में कांग्रेस के नेतृत्व में चले अहिंसक आंदोलन को बहुत बड़ा दिखाया गया और सशस्त्र क्रांतिकारियों के योगदान को अहमियत दी गई। जबकि सच्चाई यह है कि यदि सशस्त्र क्रांति की समानान्तर धारा नहीं होती, तो देश को आजादी मिलने में कई दशक और लग जाते।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद अंग्रेज तो चले गए, लेकिन अंग्रेजियत छोड़ गए और उसी चश्मे से इतिहास लिखा गया। इतिहास को हार-जीत के नजरिये से देखने को संक्रीर्ण दृष्टिकोण बताते हुए अमित शाह ने कहा कि इतिहास में उस दौरान किये जाने वाले प्रयासों को स्थान मिलना चाहिए। इन प्रयासों से सभी आयामों और उसकी व्यापकता के विश्लेषण से उस दौर के वास्तविक इतिहास को समझा जा सकता है।
इतिहास को उग्रवादी बनाम नरमपंथी की धारा से निकालकर यथार्थवादी बनाना होगा। 200 से अधिक वर्षों तक भारत पर शासन करने वाले मुगलों के दावों से इनकार करते हुए, अमित शाह ने कहा हर बार हमें बताया गया है कि मुगल पहले साम्राज्य थे, लेकिन ऐसा नहीं है! ऐसे साम्राज्य रहे हैं जो 200 से अधिक वर्षों तक इस देश पर शासन किया है।
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