नई दिल्ली। भारत के दूसरे प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की आज पुण्यतिथि है। छोटा कद, साफ-सुथरी छवि और सादगी भरा व्यक्तित्व। लाल बहादुर को जब भी हम याद करते हैं हमारे जहन में यह तस्वीर सहसा ही सामने आ जाती है। शास्त्री डेढ़ साल तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। साल 1966 में आज ही के दिन ताशकंद में उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
लाल बहादुर शास्त्री जिस वक्त देश के गृह मंत्री थे, एक कार्यक्रम में शामिल होने कोलकाता पहुंचे थे। वापसी में शाम की फ्लाइट थी। उन दिनों कोलकाता में ट्रैफिक की विकराल समस्या थी। लाल बहादुर शास्त्री थोड़ा लेट हो गए और एयरपोर्ट पहुंचना असंभव लग रहा था। रिसर्चर अदरीजा रॉयचौधरी इंडियन एक्सप्रेस के एक लेख में लिखती हैं कि कोलकाता के पुलिस कमिश्नर ने लाल बहादुर शास्त्री की समस्या भांफ ली। उन्होंने कहा कि वह लाल बहादुर शास्त्री की कार के आगे पुलिस की सायरन लगी कार लगवा देते हैं। इससे ट्रैफिक में फंसने का झंझट नहीं होगा।
शास्त्री, को यह सुझाव पसंद नहीं आया और उन्होंने फौरन इंकार कर दिया। लाल बहादुर शास्त्री ने कहा कि इससे कोलकाता के लोगों को लगेगा कि उनके यहां कोई वीआईपी आ गया है और उनका रूटीन डिस्टर्ब हो जाएगा।
दुकानदार से सस्ती साड़ी की मांग
एक बार लाल बहादुर शास्त्री जी अपनी पत्नी के लिए साड़ी खरीदने एक दुकान में गए। प्रधानमंत्री के पद पर थे सो दुकानदार भी अपने पीएम को देखकर काफी खुश हुआ। शास्त्री जी ने कहा कि उन्हें 5-6 साड़ियां चाहिए। दुकानदार तुरंत एक से बढ़कर एक साड़ियां दिखाने लगा। साड़ियां काफी महंगी थी। शास्त्री जी ने दुकानदार से सस्ती साड़ियां दिखाने को कहा। साड़ीवाले ने कहा कि आप पधारे यह तो मेरा सौभाग्य है। लेकिन शास्त्री जी ने कहा कि मैं दाम देकर साड़ियां ले जाउंगा। सो जितना कह रहा हूं उसपर ध्यान दो और सस्ती साड़ियां दिखाओ। दुकानदार ने प्रधानमंत्री की बात मानते हुए सस्ती साड़ियां दिखाईं और शास्त्री जी कीमत अदा कर वहां से चले गए।
ट्रेन से निकलवा दिया कूलर
यह उस समय की बात है जब शास्त्री जी रेल मंत्री के पद पर थे। एक दिन अचानक उन्हें किसी काम से मुंबई जाना पड़ा। ट्रेन में उनकी टिकट फर्स्ट क्लास में बुक की गई थी। पहले तो शास्त्री जी बैठ गए लेकिन उन्हें सफर के दौरान ठंडी लगने लगी। जबकि बाहर गर्म हवाएं और लू चल रही थी। शास्त्री जी बोले कि अंदर ठंडक है लेकिन बाहर काफी गर्मी है। उनके पीए कैलाश बाबू ने कहा कि आपकी सुविधा के लिए कूलर लगवाया है। इतना सुनते ही शास्त्री जी ने अपने पीएम की तरफ देखकर पूछा कि तुमने कूलर लगवाया और मुझे बताया भी नहीं। और लोगों को गर्मी नहीं लगती क्या? पीएम शास्त्री जी ने कहा कि आगे गाड़ी रुकने पर कूलर निकलवा देना। तब मथुरा स्टेशन पर गाड़ी रुकते ही सबसे पहले कूलर निकलवा दिया गया।
निधन के बाद पत्नी ने चुकाया था लोन
साल 1966 में जब लाल बहादुर शास्त्री की मौत हुई तो उनके नाम पर ना तो कोई घर था ना कोई जमीन और न कोई दूसरी संपत्ति। अपने पीछे सिर्फ एक सरकारी लोन छोड़ गए थे जो उन्होंने फिएट कार के लिए ली थी। लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने बैंक का लोन अपनी पेंशन से चुकाया था।
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