दिल्ली। दिल्ली दंगा 2020 में आरोपी पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ आज कड़कड़डूमा कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोप तय कर दिए हैं। अदालत ने ताहिर हुसैन पर आरोप तय किए हैं कि उसने गलत तरीके से मिले धन का इस्तेमाल दंगों को पोषित करने में किया। मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में वर्ष 2020 में हुई हिंसा के मामले में दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में आज बुधवार को सुनवाई हुई। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े इस केस में आरोप है कि ताहिर हुसैन ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए हासिल धन को दंगों के लिए उपलब्ध कराए। मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा कड़कड़डूमा कोर्ट पहले भी ताहिर हुसैन और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 307, 147, 148, और 153 A, 120 B के तहत आरोप तय कर चुकी है।
अक्टूबर 2022 में एडिशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला ने अपने आदेश में कहा था, ‘ताहिर हुसैन के घर पर इकट्ठा हुई हथियारबंद भीड़ का मकसद हिंदुओं को टारगेट कर मारना और उनकी संपत्ति को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना था।’ इसी मकसद से ताहिर हुसैन के घर हथियारबंद भीड़ इकट्ठा हुई। पेट्रोल बम इकट्ठा किए गए। भीड़ एक-दूसरे को हिंदुओं को टारगेट करने के लिए उकसा रही थी। जाहिर है कि ऐसी सूरत में सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चलना चाहिए।
2017 में पार्षद बना था ताहिर हुसैन
ताहिर हुसैन साल 2017 के MCD चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर जीते था। फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए सांप्रदायिक दंगों के मामले में ताहिर हुसैन का नाम बतौर साजिशकर्ता आया था। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने ताहिर हुसैन को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। वहीं, पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने 20 अगस्त 2020 को ताहिर की सदस्यता खत्म कर दी थी।
बता दें कि फरवरी, 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में भीषण दंगे हुए थे। लगातार तीन दिन तक चले इन दंगों में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इसके अलावा, सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान भी हुआ था।
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