नई दिल्ली। आईसीआईसीआई बैंक-वोडाफोन लोन फ्रॉड मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को बड़ी राहत मिली है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी रिहाई के आदेश दिए हैं। दोनों ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सीबीआई ने चंदा और दीपक दोनों को 23 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद वीडियोकॉन ग्रुप के फाउंडर वेणुगोपाल धूत को धूत को 26 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया। तीनों को 10 जनवरी तक 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया था। कोचर दंपती की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पीके चव्हाण की बेंच ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CrPC) के सेक्शन 14A के उल्लंघन में की गई है। इस सेक्शन में कहा गया है कि पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी से पहले एक नोटिस भेजना चाहिए। हाईकोर्ट ने एक-एक लाख रुपए की जमानत राशि पर दोनों को रिहा करने का आदेश दिया।
वहीं माना जा रहा है कि सीबीआई अब मामले में सुप्रीम कोर्ट का रूख कर सकती है। इससे पहले शुक्रवार को न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वी राज चव्हाण की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। 23 दिसंबर को आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन बैंक लोन मामले में सीबीआई ने चंदा कोचर, दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया था। दोनों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। जहां सीबीआई ने कहा कि दोनों पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं। जवाब में टालमटोल कर रहे हैं, जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था। वहीं 26 दिसंबर को वीडियोकॉन के चैयरमैन वेणुगोपाल धुत को भी गिरफ्तार कर लिया था। 3250 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी के इस मामले की शुरूआत साल 2009 में हुई।
चंदा कोचर पर आरोप लगे कि उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ, एमडी रहते हुए नियमों की अनदेखी करते हुए वीडियोकॉन को लोन दिया। अपने पति दीपक कोचर को लाभ पहुंचाने के लिए उन्होंने नियमों की अनदेखी करते हुए वीडियोकॉन को लोन दिया। मार्च 2018 में जब से खुलासा हुआ तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। वहीं इस मामले में छानबीन के बाद सीबीआई ने उनके पति दीपक कोचर को भी गिरफ्तार कर लिया। दिसंबर 2022 में वीडियोकॉन के चेयरमैन वेणुगोपाल भी सलाखों के पीछे पहुंच गए।
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