पटना। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार आज शनिवार से राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण का पहला चरण शुरू हो गया है। जाति आधारित सर्वेक्षण का कार्य 21 जनवरी को समाप्त होगा। इसको लेकर प्रदेश की राजनीति गर्म हो गई है। सरकार के घटक दलों के नेता इसे ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं वहीं भाजपा इसको लेकर बिहार सरकार को घेरने में लगी हुई है।
शुक्रवार को अपनी समाधान यात्रा के दौरान मीडियाकर्मियों से बात करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि “सर्वेक्षण राज्य में जातियों और समुदायों पर एक विस्तृत रिकॉर्ड होगा। यह उनके विकास में मदद करेगा”। इससे पहले 2 जून 2022 को राज्य मंत्रिमंडल ने परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की जानकारी एकत्र करने सहित राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण की सर्वदलीय मांग को मंजूरी दी थी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार विधानसभा ने पहले भी जाति आधारित सर्वेक्षण के पक्ष में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया था। जिसके बाद भाजपा सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने देश में जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से इस मांग को खारिज कर दिया गया था। ऐसे में हमने अपने दम पर जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सर्वेक्षण के पहले चरण में 5.24 लाख सर्वेक्षक, ज्यादातर शिक्षक, कृषि समन्वयक, रोज़गार सेवक, विकास मित्र, मनरेगा कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता, जीविका दीदी, सभी 38 जिलों (शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों) में 2.58 करोड़ घरों की गणना करेंगे। सर्वेक्षण में राज्य में 12.70 करोड़ की अनुमानित आबादी को शामिल किया जाएगा। इसके बाद सारी जानकारी एक पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सर्वेक्षण करने वाले सभी कार्यकर्ताओं को पहले ही प्रशिक्षण दे दिया गया है।
सर्वेक्षण के दूसरे चरण में सर्वेक्षणकर्ता प्रत्येक घर का दौरा करेंगे और परिवार के सदस्यों की जाति, उनकी सामाजिक-आर्थिक प्रोफ़ाइल, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी एकत्र करेंगे। सर्वेक्षण फॉर्म में 26 कॉलम होंगे। दूसरे चरण के सर्वेक्षण का डाटा भी पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
भाजपा ने साधा निशाना
बिहार में भाजपा के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने भी इस मामले पर नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि आजादी के 75 साल हो गए लेकिन जाति के आधार पर गणना क्यों नहीं हुई, क्या नीतीश कुमार बता पाएंगे? इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गरीबों के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कई कल्याणकारी योजना बनाई गई, इसका एक मात्र उद्देश्य जाति मुक्त समाज और भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाना था।
सिन्हा ने आगे कहा कि जाति के आधार पर गणना कराने के बजाए आर्थिक आधार पर गणना कर समाज को टूटने से बचाया जा सकता था। उन्होंने नीतीश सरकार पर तंज कसते हुए पूछा कि इसमें जो 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे उसका गरीबों को क्या लाभ मिलेगा? उन्होंने पूछा कि 32 साल से दोनों भाई कर क्या रहे थे? उन्होंने वीडियो में कहा कि जाति के बजाए, केवल आर्थिक जनगणना करवाकर समाज को तोड़ने से बचाया जा सकता है। समरस समाज की परिकल्पना कभी भी जाति में बांट कर पूरी नहीं की जा सकती। क्षेत्रीय पार्टियां केवल अपना रोटी सेकना चाहती है, अपना उल्लू सीधा करना चाहती है।
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