जयपुर। भ्रष्टाचारियों को बचाने वाला आदेश गहलोत सरकार ने वापस ले लिया है। एसीबी वापस बैकफुट पर आ गई है। एडीजी हेमंत प्रियदर्शी ने 4 जनवरी को यह आदेश जारी किया था कि एसीबी ट्रेप के आरोपियों के नाम व फोटो को उजागर नहीं किया जाएं। अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एसीबी के इस आदेश का जमकर विरोध हुआ। जिसके बाद एसीबी को मजबूरन यह आदेश वापस लेना पड़ा है।
डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने आदेश जारी किया था कि ट्रेपशुदा आरोपी, संदिग्ध का नाम व फोटो सार्वजनिक नहीं करे। यह आदेश सभी एसीबी के सभी चौकी व यूनिट प्रभारी को जारी किए गए थे। आदेश में था कि ब्यूरो टीम द्वारा की गई कार्यवाही के पश्चात जब तक प्रकरण, आरोपी का न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध नहीं हो जाता तब तक आरोपी का नाम, फोटो मीडिया या अन्य किसी व्यक्ति, विभाग में सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। आरोपी जिस विभाग में कार्यरत है। उसका नाम व आरोपी के पदनाम की सूचना मीडिया में सार्वजनिक नहीं की जाएगी। ब्यूरो की अभिरक्षा में जो भी संदिग्ध या आरोपी है। उसकी सुरक्षा और मानवाधिकार की रक्षा की पूर्ण जिम्मेदारी ट्रेपकर्ता अधिकारी या अनुसंधान अधिकारी की होगी।
आदेश पर काफी बवाल मच गया था। बीजेपी ने गहलोत सरकार को निशाने पर ले लिया। बीजेपी ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार भ्रष्ट अफसरों को बचाने की कोशिश कर रही है। इस आदेश की चौतरफा निंदा हुई। मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि इत तरह का आदेश चार साल के काम को खराब करने के लिए निकाला गया है। इसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा। खाचरियावास ने कहा कि इस तरह के आदेश तो सीएम और पीएम की ओर से निकाले जाते हैं। पुलिस अधिकारी की तरफ से नहीं निकाले जाते हैं।
सीएम गहलोत ने दिए थे संकेत
बवाल मचने पर सीए गहलोत ने गुरुवार को आदेश वापस लेने के संकेत दिए थे। सीएम गहलोत ने उदयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि आदेश का लेटर देंखेंगे। जरूरत पड़ी तो आदेश वापस लिया जाएगा। सीएम ने आज मामले की समीक्षा की और आदेश वापस लेने के निर्देश एसीबी को दिए। बता दें, सीएम गहलोत के पास गृह विभाग भी है। एसीबी सीएम गहलोत के अधीन ही काम करती है।
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