पटना। नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड में इस बार भी बिहार की झांकी नहीं दिखाई देगी। केंद्र की विषय विशेषज्ञ समिति ने ‘गयाजी बांध’ थीम पर आधारित प्रस्तावित झांकी को खारिज कर दिया है। ऐसे में गणतंत्र दिवस पर परेड में लगातार सातवें साल बिहार की झांकी दिखाई नहीं देगी।
राज्य सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने गया में फल्गु नदी पर बने रबर डैम को बिहार की झांकी के रूप में पेश करने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे केंद्र सरकार की एक्सपर्ट कमेटी ने खारिज कर दिया। इसकी वजह इसे झांकी के मानकों पर खरा नहीं उतरना बताया जा रहा है। बिहार के सूचना और जनसंपर्क विभाग ने बताया कि प्रस्तावित झांकी गणतंत्र दिवस परेड के लिए निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करती है। ऐसे में इसे परेड का हिस्सा नहीं बनाया गया। झांकी को शामिल नहीं किए जाने को लेकर बताया जा रहा कि ये चयन कई पैरामीटर्स पर निर्भर करता है। इसमें विजुअल अपील, जनता पर प्रभाव, विचार, विषय, संगीत और झांकी में शामिल जरूरी डिटेल्स भी शामिल है।
JDU बोली मोदी सरकार बिहार विरोधी
वहीं, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव सिंह ललन ने इस पर ऐतराज जताते हुए कहा कि यह केंद्र का बिहार विरोधी नजरिया दिखाता है। केंद्र दिखाना चाहता है कि बिहार में कुछ नहीं हो रहा है। उसे बिहार के विकास, यहां की नयी सोच और बड़ी योजनाओं से नफरत है।
बिहार की ओर से भेजा गया था एक ही प्रस्ताव
बिहार सरकार की तरफ से भेजा गया यह इकलौता प्रस्ताव था, जबकि कुछ राज्यों ने कई प्रस्ताव भेजे थे। छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल की तरफ से चार-चार प्रस्ताव भेजे गए थे। इससे पहले 2021 में गांधी के पद चिह्नों पर अग्रसर बिहार, 2020 में जल जीवन हरियाली मिशन, 2019 में शराबबंदी, 2018 में छठ पर्व और 2017 में विक्रमशिला एक प्राचीन शैक्षणिक केंद्र के विषय पर झांकियों की थीम बिहार की ओर से भेजी गई थी। इसे केंद्र की ओर से रिजेक्ट किया गया था। 2016 के परेड में आखिरी बार बिहार सरकार की झांकी नजर आई थी। इसमें थीम 1917 का चंपारण आंदोलन था।
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