गोरखपुर। यूपी में निकाय चुनाव से ठीक पहले गोरखपुर और देवरिया में दो नगर पंचायतों का नाम सरकार ने बदल दिया है। तेलिया अफगान का नाम बदलकर ‘तेलिया शुक्ला और मुंडेरा बाजार का नाम चौरीचौरा कर दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए NOC (नॉन आब्जेक्शन सर्टिफिकेट) भी दे दिया है।
देवरिया के बरहज तहसील में आने वाले तेलिया अफगान गांव का नाम बदलने की कवायद साल 2019 में शुरू हुई थी। उस वक्त ग्राम पंचायत ने जिला प्रशासन को प्रस्ताव पारित कर लिखा था कि तेलिया अफगान गांव का नाम अफगानियों की बस्ती के आधार पर रखा गया था। लेकिन अब उस गांव एक-दो परिवार ही अफगानी मूल के रह गए हैं। ऐसे में उसका नाम तेलिया शुक्ल रख देना चाहिए। क्योंकि न केवल पुकारने में इस नाम का ज्यादातर इस्तेमाल होता है। बल्कि यहां पर आबादी भी शुक्ल लोगों की ज्यादा है।
ऐतिहासिक राम जानकी मार्ग के किनारे स्थित इस गांव का इतिहास काफी पुराना है। बरहज तहसील के भागलपुर ब्लॉक में स्थित इस गांव में लगभग पैंतीस सौ मतदाता है। वैसे तो इस गांव में लगभग सभी जातियां हैं। मगर ब्राह्मण बिरादरी के शुक्ल लोगों की संख्या सबसे अधिक है। इस गांव का नाम राजस्व अभिलेखों में भले ही तेलिया अफगान दर्ज है मगर बोलचाल में इसे तेलियां शुक्ला के नाम से ही जाना पहचाना जाता है। गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय, संस्कृत विद्यालय समेत अन्य सरकारी भवनों पर तेलियां अफगान (शुक्ला) लिखा गया है। अधिकांश छात्रों के शैक्षणिक दस्तावेज एवं आधार कार्ड में भी तेलिया अफगान (शुक्ला) ही दर्ज है।
वहीं, चौरीचौरा से भाजपा विधायक और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद के बेटे सरवन निषाद बताया, ”नगर पंचायत मुंडेरा बाजार का नाम बदलकर अब चौरीचौरा हो जाने से अब इस बार का निकाय चुनाव नगर पंचायत चौरीचौरा के नाम से संपन्न होगा।” भाजपा विधायक ने गृह मंत्रालय और प्रदेश सरकार को इसके लिए धन्यवाद देते हुए कहा, चौरीचौरा की धरती क्रांतिकारियों की धरती है। ऐसे में नगर पंचायत मुंडेरा बाजार का नाम बदलकर चौरीचौरा होने से यहां के वीर सपूतों को यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस तरह बदले जाते हैं नाम
किसी भी शहर, जिले आदि का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजती है। इसके बाद गृह मंत्रालय इन प्रस्तावों पर संबंधित एजेंसियों से सलाह लेता है। इसके साथ ही नाम बदलने के लिए रेल मंत्रालय, डाक विभाग और भारतीय सर्वेक्षण विभाग से सलाह ली जाती है। उनसे सहमति मिलने के बाद नाम बदलने के लिए एनओसी जारी कर दिया जाता है।