मनीष सिसोदिया ने एलजी को लिखी एक और चिट्ठी, कोरोना टेस्टिंग के प्रस्ताव पर फैसला लेने की अपील

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दिल्ली। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक और चिट्ठी लिखी है।सिसोदिया ने एलजी से अपील की है कि सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिक की लैब में कोरोना टेस्ट के प्रस्ताव पर जल्दी निर्णय लें। अगर एलजी ने कोई फैसला नहीं लिया तो एक जनवरी से दिल्ली के सभी अस्पतालों में कोरोना टेस्टिंग बंद हो जाएगी।

मनीष सिसोदिया ने एलजी को लिखी अपनी चिट्ठी में अपील की है कि सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिक में कोरोना टेस्टिंग के प्रस्ताव पर जल्दी निर्णय लें। इस प्रस्ताव की फाइल उपराज्यपाल के पास बीते दो हफ्तों से पेंडिंग है। अगर इस पर जल्दी निर्णय नहीं हुआ तो एक जनवरी से दिल्ली के सभी अस्पतालों में कोरोना टेस्टिंग बंद हो जाएगी। सिसोदिया ने बीते शुक्रवार को भी एलजी को चिट्ठी लिखी थी। डिप्टी सीएम ने आरोप लगाया कि सरकारी कामकाज में दखल दिया जा रहा है और अफसरों को धमकी दी जा रही है।

डिप्टी सीएम ने एलजी के काम करने के तरीके पर सवाल उठाते हुए पत्र में लिखा कि एलजी मंत्रिपरिषद की अनदेखी कर सीधे अफसरों को आदेश दे रहे हैं। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है। एलजी दिल्ली सरकार के रोजमर्रा के कामों में दखल दे रहे हैं और अनुचित काम न करने पर अफसरों को सस्पेंड करने की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने एलजी को याद दिलाया कि वह संविधान की 7वीं अनुसूची के अनुरूप और मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं।

सिसोदिया ने लिखा कि मेरे संज्ञान में लाए गए कुछ बेहद चिंताजनक घटनाक्रमों के संदर्भ में मैं आपको यह पत्र लिखने के लिए विवश हुआ हूं। आपके कार्यालय ने हाल के दिनों में दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों से चीफ सेक्रेट्री, प्रमुख सचिव और सचिवों के जरिए फाइलें सीधे अपने पास मंगवाने की प्रथा शुरू की है और संबंधित मंत्रियों व कैबिनेट को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए अधिसूचनाएं जारी करने की मंजूरी दी है। यह न केवल दिल्ली सरकार में प्रशासनिक कामकाज की लंबे समय से स्थापित परंपराओं और प्रथाओं के विपरीत है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 239-एए में निहित प्रावधानों के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ के द्वारा निर्धारित कानून के भी पूरी तरह विपरीत है।

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