कोच्चि। केरल सरकार ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके सचिव से राज्य में फैलाई गई हिंसा को लेकर वसूली में नाकाम रहने पर केरल उच्च न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगी है। केरल सरकार ने कहा कि अदालत के आदेश को लागू करने में जानबूझकर कोई विफलता नहीं की गई है।
कोर्ट ने केरल सरकार से नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने हिंसा के एवज में वसूली में देरी करने पर कहा था कि हिंसा फैलाने वालों से सरकार को सख्ती से पेश आना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि पहले के निर्देशों के अनुपालन के लिए दिया गया समय 31 जनवरी से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। इससे पहले केरल हाई कोर्ट ने 23 सिंतंबर को पीएफआई द्वारा आयोजित हरताल के दौरान भड़की हिंसा में केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) को हुई क्षति के लिए उसे दो सप्ताह के भीतर 5.20 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने उस समय पीएफआई के राज्य सचिव अब्दुल सथार को अवैध हड़ताल के संबंध में राज्य में दर्ज सभी मामलों में आरोपी बनाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इसी के साथ राज्य सरकार से राशि को वसूलने का निर्देश दिया था।
सोमवार को सुनवाई के दौरान खंडपीठ के न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सीपी ने वसूली में राज्य सरकार द्वारा अब तक उठाए गए कदमों पर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि हमारे निर्देशों के बावजूद अतिरिक्त मुख्य सचिव के माध्यम से राज्य सरकार ने पीएफआई पर कार्रवाई करने के लिए कोई तत्काल कदम नहीं उठाए, जो राज्य के लिए सही नहीं है। कोर्ट ने इसके बाद वसूली के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए।
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