लखनऊ। उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने की योजना के तहत योगी आदित्यनाथ सरकार लगातार योजना तैयार कर रही है। विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया जा रहा है। इस बीच सरकार अपने एक समझौते को लेकर विवादों में आ गई है।
यूपी सरकार ने अमेरिका की ऑस्टिन यूनिवर्सिटी के साथ 35 हजार करोड़ का समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है। इस समझौता के मुताबिक ऑस्टिन यूनिवर्सिटी यूपी में 5 हजार एकड़ में नॉलेज सिटी बनाने वाली थी। लेकिन इसी बीच यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के मुताबिक ये बात सामने आई है कि जिस ऑस्टिन यूनिवर्सिटी के साथ सरकार ने समझौता किया है, वहां एक भी छात्र नहीं पढ़ता यानी इन रोल नहीं है। यूनिवर्सिटी की मान्यता ही रद्द की जा चुकी है। यह भी सामने आया कि ऑस्टिन विश्वविद्यालय अमेरिकी संघीय सरकार द्वारा प्रकाशित विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल नहीं है। इस विश्वविद्यालय में सिर्फ अब 25 फीसदी शिक्षक ही रह गए हैं।
इस पूरे मामले के सामने आने के बाद यूपी सरकार की ओर से स्थिति स्पष्ट की गई। यूपी सरकार के औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार ने कहा कि एमओयू ऑस्टिन यूनिवर्सिटी से हुआ ही नहीं है। यूपी सरकार ने नॉलेज स्मार्ट सिटी निर्माण के लिए ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप के साथ करार किया है।
10 दिन पहले रद्द हुई थी मान्यता
ऑस्टिन यूनिवर्सिटी को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। इस यूनिवर्सिटी को वर्ष 2011 में निजी संस्थान के रूप में चलाने की मान्यता दी गई। यूपी सरकार के साथ करार से ठीक 10 दिन पहले यानी 8 दिसंबर 2022 को इस संस्थान की मान्यता को रद्द कर दिया गया। संस्थान पर 9965 डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया। यूनिवर्सिटी में एमबीए का कोर्स कराए जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया गया था। दरअसल, 2016 से 2020 तक के यूनिवर्सिटी के वेबसाइट के फैक्ट शीट में गड़बड़ी पाई गई। इसमें देखा गया कि इन 4 सालों में एक भी एमबीए स्टूडेंट ने संस्थान में दाखिला नहीं लिया गया। ऑस्टिन यूनिवर्सिटी सन फ्रांसिस्को और ऑस्टिन कंसलटिंग ग्रुप एक ही व्यक्ति की ओर से चलाया जाता है। हालांकि, इसमें दावा किया गया है कि ऑस्टिन यूनिवर्सिटी का इस एमओयू से कोई लेना-देना नहीं है।
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