जोधपुर। 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के हीरो भैरो सिंह राठौड़ ने नहीं रहे। भैरो सिंह राठौड़ ने राजस्थान के जोधपुर स्थित एम्स में अंतिम सांस ली। भारत-पाकिस्तान के इस युद्ध पर बनी फिल्म बाॅर्डर में सुनील शेट्टी ने भैरों सिंह का किरदार निभाया था।
भैराे सिंह मूलत: जोधपुर जिले के शेरगढ़ तहसील के सोलंकियातला गांव के रहने वाले थे। बेटे सवाई सिंह ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक की वजह से वे सांस नहीं ले पा रहे थे। इसके बाद उनके शरीर में कोई मूवमेंट नहीं हो रहा था। उन्हें एम्स के आईसीयू में एडमिट किया गया था। लेकिन, सोमवार दोपहर इलाज के दौरान उनका देहांत हो गया। इधर, भैरो सिंह के निधन की सूचना मिलने पर बीएसएफ डीआईजी संजय यादव भी एम्स पहुंचे। यहां से पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए मंडोर स्थित बीएसएफ के हेडक्वार्टर ले जाया गया है। यहां से मंगलवार सुबह पार्थिव देह गांव लाई जाएगी, जहां अंतिम संस्कार होगा।
तीन दिन पहले पीएम मोदी ने परिवार से की थी बातचीत
भारत-पाक युद्ध के 16 दिसंबर काे 51 साल पूरे हुए थे। इस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने परिवार से बातचीत कर भैरो सिंह के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। 1971 के भारत-पाक युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले भैरो सिंह को 1972 में सेना पदक मिला था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल दिसंबर में जैसलमेर में राठौड़ से मुलाकात की थी। उस समय वो बीएसएफ के स्थापना दिवस समारोह के लिए सीमावर्ती शहर गए थे। भैरो सिंह 1987 में बीएसएफ से रिटायर्ड हुए थे।
पीएम मोदी ने उनके निधन पर ट्वीट कर कहा है कि भैरो सिंह जी अपनी सेवा के लिए हमेशा याद रखे जाएंगे। हमारे देश के इतिहास के एक अहम पड़ाव पर उन्होंने जबरदस्त बहादुरी दिखाई थी। उनके निधन से काफी दुखी हूं। परिवार के प्रति मेरी संवेदनाए हैं।
भैरो सिंह के शौर्य की कहानी
फिल्म ‘बॉर्डर’ में भैरों सिंह राठौड़ का किरदार सुनील शेट्टी ने निभाई है, फिल्म Border 1997 में रिलीज हुई थी। फिल्म का सुपर हिट गाना ‘घर कब आओगे’ आज भी लोगों की आंखें नम कर देता है। ‘घर कब आओगे’ के गायक सोनू निगम और रूप कुमार राठोड़ हैं। सुनील शेट्टी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “रेस्ट इन पावर नाइक भैरों सिंह जी। परिवार के प्रति हार्दिक संवेदनाएं।”
भैरो सिंह को थार रेगिस्तान में लोंगेवाला चौकी पर तैनात किया गया था, जो बीएसएफ की एक छोटी टुकड़ी की कमान संभाल रहे थे। इसके साथ सेना की 23 पंजाब रेजिमेंट की एक कंपनी थी। इन टुकड़ियों ने 5 दिसंबर, 1971 को इसी जगह पाकिस्तानी ब्रिगेड और टैंक रेजिमेंट को ध्वस्त कर दिया था।
भैरो सिंह ने बताया था कि 1971 भारत-पाक के बीच युद्ध छिड़ चुका था। उस समय बीएसएफ की 14 बटालियन की डी कंपनी तीसरे नंबर की प्लाटून लोंगेवाला पर तैनात थी। आर्मी की 23 पंजाब की एक कंपनी ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में लोंगेवाला का जिम्मा संभाल लिया था।
बॉर्डर पोस्ट से करीब 16 किमी दूरी पर था। बीएसएफ की हमारी कम्पनी को दूसरी पोस्ट पर भेज दिया गया। मुझे पंजाब बटालियन के गाइड के तौर पर लोंगेवाला पोस्ट पर तैनाती के आदेश मिले। सेना को पेट्रोलिंग के दौरान इलाका दिखाया।आधी रात को संदेश मिला कि पाकिस्तानी सैनिक पोस्ट की ओर बढ़ रहे हैं। उनके पास बड़ी संख्या में टैंक भी थे। भारतीय सेना ने हवाई हमले के लिए एयरफोर्स से मदद मांगी, लेकिन रात होने के कारण मदद नहीं मिल सकी। बावजूद हिम्मत नहीं हारी। भैरो सिंह ने एलएमजी गन से लगातार 7 घंटे तक फायरिंग की और पाकिस्तानी फौज से मोर्चा लिया। उन्होंने 25 से ज्यादा पाकिस्तानी सिपाहियों को अकेले ही मार डाला।
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