नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों की पीड़ित बिलकिस बानो द्वारा 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका शनिवार को खारिज कर दी। बिलकिस बानो ने 2002 में अपने साथ हुए गैंगरेप मामले में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों की सजा माफ करने को चुनौती दी थी।
साल 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या करने के मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई थी। हालांकि, गुजरात सरकार ने दोषियों को रिहा 15 साल जेल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया। गुजरात सरकार का कहना है कि उसने अपनी सजा माफी नीति के अनुरूप 11 दोषियों को छूट दी है। इन दोषियों को इसी साल 15 अगस्त को जेल से रिहा किया गया। दोषियों को गोधरा उप-जेल में 15 साल से अधिक की सजा काटने के बाद छोड़ा गया है।
दोषियों की इसी रिहाई को चुनौती देते हुए समय से पहले रिहाई को चुनौती देते हुए बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। गुजरात सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए बिलकिस ने कहा बीते दिनों कहा था कि ‘इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण फैसला’ लेने से पहले किसी ने उनकी सुरक्षा के बारे में नहीं पूछा और न ही उनके भले के बारे में सोचा। उन्होंने गुजरात सरकार से इस बदलने और उन्हें ‘बिना डर के शांति से जीने’ का अधिकार देने को कहा।
गैंगरेप के वक्त पांच महीने की गर्भवती थी बिलकिस बानो
बिलकिस बानो से गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। घटना के वक्त बिलकिस बानो की उम्र 21 साल थी और वह पांच महीने की गर्भवती थी।
इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई और सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई महाराष्ट्र की एक अदालत में स्थानांतरित कर दी थी। मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी 2008 को 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बंबई हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी सजा बरकरार रखी थी।
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