शिमला। भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में 156 सीटों पर जीत दर्ज करके जहां इतिहास बनाया तो दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है। मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही रहा, जिसमें कांग्रेस ने कुछ हजार मतों से बाजी मार ली।
कांग्रेस को 43.9 फीसदी वोट शेयर यानी 18 लाख 52 हजार 504 वोट मिले हैं। पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में कुल 40 सीटें हासिल की। वहीं, सत्ता में बने रहने की कोशिश में लगी भाजपा के खाते में 25 सीटें ही आई। दल का वोट शेयर 43 प्रतिशत यानी 18 लाख 14 हजार 530 रहा। इस लिहाज से भाजपा ने हिमाचल की सरकार महज 37 हजार 974 मतों से गंवा दी। साल 1951 के बाद यह आंकड़ा सबसे कम है। दलों के बीच सीटों के अंतर की बात करें तो 15 सीटों का है। ऐसे में साफ है कि भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच जीत-हार का अंतर काफी करीबी रहा है।
2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 48.79 फीसदी वोटर शेयर के साथ 44 सीटें जीती थीं और कांग्रेस को 21 सीटें मिली थी। दोनों दलों के बीच 7.11 प्रतिशत का अंतर था। जयराम ठाकुर संयोगवश हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने साल 2017 के हिमाचल विधानसभा चुनाव में भले ही जीत हासिल कर ली थी, लेकिन मुख्यमंत्री पद के चेहरे प्रेम कुमार धूमल को सुजानपुर सीट से हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में पार्टी ने मंडी जिले की सिराज सीट से पांच बार के विधायक ठाकुर को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया।
ठाकुर (57) को चतुर नेता माना जाता है, जो अक्सर चकाचौंध से दूर रहते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान, ठाकुर ने “विकास” और भाजपा की “डबल इंजन” सरकार पर ध्यान केंद्रित किया। इसके जरिए उन्होंने राज्य और केंद्र दोनों की सत्ता में भाजपा को बरकरार रखने की ओर इशारा किया। विपक्षी नेताओं ने जब उन्हें “संयोगवश मुख्यमंत्री बनने वाला” कहा, तो ठाकुर ने सामान्य उत्तर दिया, “हां, मैं हूं और मैं यहां रहूंगा।” हालांकि, जब भी वह दिल्ली जाते थे, तब अटकलें लगने लगती थीं कि पार्टी आलाकमान उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा सकता है। साल 2021 में जब हिमाचल की तीन विधानसभा और मंडी लोकसभा सीट के लिये उपचुनाव में भाजपा की हार हुई, तो बदलाव की आवाजें बुलंद हो गईं, लेकिन पार्टी उनके साथ खड़ी रही।
Discussion about this post