बैंगलूर। कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर केंद्र के प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष नासिर पाशा ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की थी।
तिहाड़ जेल में बंद पीएफआई की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष नासिर पाशा ने 27 अक्टूबर को केंद्र के फैसले के विरोध में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने 28 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सिंगल बेंच के जस्टिस नागप्रसन्ना ने बुधवार 30 नवंबर को फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार का कदम बिलकुल दुरुस्त था।
बता दें, केंद्र सरकार ने 28 सितंबर को इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों से ‘संबंध’ रखने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश का आरोप लगाते हुए आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। सितंबर में एनआईए की अगुवाई में जांच एजेंसियों ने कई राज्यों में छापेमारी की थी। इस दौरान बड़ी संख्या में कथित पीएफआई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था। इसके साथ ही कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी किया गया था। केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, दिल्ली और राजस्थान में बड़ी संख्या में पीएफआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।
सरकार ने PFI पर लगाया पांच साल का प्रतिबंध
सरकार ने आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ “लिंक” होने का आरोप लगाते हुए पीएफआई को 28 सितंबर को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। पीएफआई के आठ सहयोगी संगठनों- रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल के नाम भी यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किए गए संगठनों की सूची में शामिल हैं।