मुंबई। IFFI में द कश्मीर फाइल्स पर इजराइली फिल्ममेकर नादव लैपिड के बयान के बाद बवाल मचा हुआ है। इस विवाद पर अब मूवी डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने चुप्पी तोड़ी है। विवेक ने वीडियो शेयर करके अपनी नाराजगी जाहिर की है। विवेक अग्निहोत्री ने चैलेंज किया है कि अगर कोई यह साबित कर देगा कि उन्होंने फिल्म में जो भी दिखाया वो सच नहीं था तो वह फिल्में बनाना छोड़ देंगे।
विवेक अग्निहोत्री ने एक वीडियो बनाकर अपनी बात कही है। विवेक ने वीडियो को कैप्शन दिया है, आंतक को सपोर्ट करने वाले और नरसंहार से इनकार करने वाले मुझे कभी शांत नहीं कर सकते हैं। जय हिंद। वीडियो में विवेक कहते हैं, दोस्तो इफ्फी गोवा में, ज्यूरी के चेयरमैन ने बोला कि द कश्मीर फाइल्स एक वल्गर और प्रोपागैंडा फिल्म है। मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं है। इस तरह की बातें तो सारे टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशंस, अर्बन नक्सल्स और भारत के टुकड़े-टुकड़े करने वाले लोग करते ही रहते हैं। लेकिन मेरे लिए बहुत आश्चर्यजनक बात है कि भारत सरकार द्वारा आयोजित, भारत सरकार के मंच पर कश्मीर को भारत से अलग करने वाले टेररिस्ट लोगों के नैरिटव को सपोर्ट किया गया। और उस बात को लेकर भारत में ही रहने वाले कई लोगों ने भारत के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया।
यासीन मलिक ने कुबूले जुर्म
आखिर वे लोग कौन हैं? ये वही लोग हैं, जो कश्मीर फाइल्स के लिए जब रिसर्च चालू किया गया था तबसे इसको प्रोपागैंडा बोल रहे हैं। 700 लोगों के पर्सनल इंटरव्यू के बाद यह फिल्म बनी है। क्या वो 700 लोगों जिनके मां-बाप, भाई-बहनों को सरेआम मार दिया गया, गैंगरेप किया गया, दो टुकड़ों में बांट दिया गया क्या वो सब लोग प्रोपागैंडा और अश्लील बातें कर रहे हैं। जो पूरी तरह से हिंदू लैंड हुआ करता था वहां हिंदू नहीं रह रहे हैं। उस लैंड में आज भी आपकी आंखों के सामने हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा जाता है, क्या यह प्रोपागैंडा और अश्लील बात है? यासीन मलिक अपने टेरर के जुर्मों को कुबूल करके आज वह जेल में सड़ रहा है, क्या वो प्रोपागैंडा और अश्लील बात है? दोस्तों द कश्मीर फाइल्स को लेकर हमेशा यह सवाल उठता है कि यह एक प्रोपागैंडा फिल्म है।
विवेक अग्निहोत्री ने दिया चैलेंज
मतलब वहां कभी जनसंहार हुआ ही नहीं। आज मैं विश्व के सारे बुद्धिजीवियों, अर्बन नक्सल्स और जो महान फिल्ममेकर इजराइल से आए हैं उनको चैलेंज करता हूं कि कश्मीर फाइल्स का एक शॉट, डायलॉग और इवेंट कोई साबित कर दे कि यह सत्य नहीं तो मैं फिल्में बनाना छोड़ दूंगा। दोस्तों ये लोग हैं कौन जो हमेशा भारत के खिलाफ खड़े होते हैं। ये वो हैं जिन्होंने मोपला का सत्य किसी के सामने नहीं आने दिया। कश्मीर का सत्य सामने नहीं आने दिया। ये वही लोग हैं जो कोविड में जलती लाशें बेच रहे थे। विवेक बोले, जितने फतवे जारी करने हैं, कीजिए, लेकिन मैं लड़ता रहूंगा।
दरअसल, हाल ही भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के ज्यूरी हेड नदव लापिड ने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को सबके सामने उजाकर करने वाली फिल्म को भद्दी और प्रोपेगेंडा पर आधारित फिल्म बताकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। वहीं इस्राइल के काउंसिल जनरल कोब्बी शोशानी, आईएफएफआई के जूरी हेड की टिप्पणी पर भड़क गए हैं। उन्होंने जूरी हेड के बयान को गलत बताते हुए कहा, ‘जब मैंने फिल्म देखी तो मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे थे। यह फिल्म देखना आसान नहीं था। मुझे लगता है कि इसे इस्राइल में भी दिखाया गया था। हम यहूदी हैं, जो भयानक चीजों से पीड़ित हैं और मुझे लगता है कि हमें दूसरों की पीड़ा को समझना होगा।
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