दिल्ली। देश की राजधानी में एमसीडी चुनाव के लिए प्रचार अभियान शबाब पर है। सभी पार्टियां दिल्लीवालों को साधने में जुटी हुई हैं। 250 वार्डों के लिए 4 दिसंबर को वोटिंग है। इस बीच चुनावी ड्यूटी से बचने के लिए कर्मचारियों के बहानों की कतार लग गयी है, अधिकारियों के पास ऐसे आवेदनों की भरमार है। अधिकारी खुद परेशान हैं कि चुनाव के समय किस पर रियायत करें।
अधिकारियों के अनुसार, कोई कर्मचारी खुद को बीमार बता रहा है तो किसी की मां बीमार है। कोई रिश्तेदार की शादी का कार्ड लेकर आ रहा है। अधिकारियों ने बताया कि लोग कई तरह के आवेदन कर रहे हैं। एक आवेदन में तो यहां तक कहा गया है कि उन्हें कुछ याद नहीं रहता, ऐसे में वह ड्यूटी नहीं कर सकते। वहीं कुछ आवेदनों में यह भी कहा गया है कि मतदान केंद्र उनके घर से काफी दूर है।
कर्मचारियों के ऐसे आवेदनों से निर्वाचन अधिकारी भी परेशान हैं। जिलों के निर्वाचन अधिकारियों के अनुसार, चुनाव आयोग के पास अपने स्थायी कर्मचारी नहीं होते। ऐसे में चुनावी प्रक्रिया को पूरा करवाने के लिए विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को लगाया जाता है। निगम चुनावों के लिए शिक्षा विभाग से कर्मचारियों की लिस्ट उन्हें मिली है। इस बार जो लिस्ट मिली है उसमें से कुछ तो रिटायर हो चुके हैं वहीं कई लोग ड्यूटी से अपना नाम हटवाने के लिए आ रहे हैं। छुट्टी के ज्यादातर आवेदन बेबुनियाद हैं। जिन्हें वास्तविक समस्या है, उन पर कुछ विचार किया जा सकता है।
बता दें चुनाव ड्यूटी के बदले हर कर्मचारी को प्रतिदिन 500 रुपये का मानदेय मिलता है। यह उन्हें तब दिया जाता है जब चुनाव खत्म हो जाते हैं। इसे कर्मचारी काफी कम मानते हैं। एक चुनाव में यह तकरीबन 2500 से 3000 रुपये तक का होता है। साथ ही कई बार कर्मचारियों की ड्यूटी उनके घर से काफी दूर लगाई जाती है। आने-जाने का साधन भी नहीं दिया जाता। चुनाव से पहले ही कर्मचारियों को ड्यूटी पर पहुंच जाना होता है। इसकी वजह से भी काफी परेशानियां आती हैं। जबकि चुनाव वाले दिन छुट्टी होती है। लिहाजा कर्मचारी इतने कम मानदेय के लिए इतनी परेशानी मोल नहीं लेना चाहते।
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