नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने वकीलों के लिए तय सख्त ड्रेस कोड को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत में गर्मियों में वकीलों के लिए सख्त ड्रेस कोड पर पुनर्विचार करना चाहिए।
संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम को सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कोर्ट रूम वकीलों के मौजूदा ड्रेस कोड को लेकर कहा कि, कानूनी पेशे को अपने औपनिवेशिक आधारों को दूर करना चाहिए। रत में गर्मियों के दौरान जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ता है। ऐसे हमें विशेष रूप से गर्मियों में वकीलों के लिए सख्त ड्रेस कोड पर पुनर्विचार करना चाहिए। पहनावे को लेकर महिला वकीलों की नैतिक पहरेदारी नहीं होनी चाहिए।
सीजेआई ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट में करीब 3000 ट्रांसफर याचिकाएं लंबित हैं। मौजूदा वक्त में सुप्रीम कोर्ट में 13 पीठें चल रही हैं। ऐसे में कोशिश होगी कि, शीतकालीन अवकाश से पहले प्रतिदिन 130 ट्रांसफर याचिकाओं का निस्तारण किया जाए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह सुनिश्चित करना चाहता है कि जमानत के मामलों को सूचीबद्ध किया जाए और उनका त्वरित तरीके से निपटारा किया जाए।
कार्यक्रम के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि, संविधान की कार्यशैली इस बात पर निर्भर करती है कि जिले में न्यायपालिका कैसे काम कर रही है। जब हम संविधान का जश्न मनाते हैं तो हमें संविधान को अपनाने से पहले के इतिहास के बारे में जानना चाहिए। उन्होंने कॉलेजियम की आलोचनाओं पर भी प्रतिक्रिया दी। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लोकतंत्र में कोई भी संस्था पूर्ण नहीं है लेकिन हम संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर काम करते हैं जैसा कि इसकी व्याख्या की जाती है।
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