जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ‘गद्दार’ वाले बयान पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने पलटवार किया है। उन्होंने अशोक गहलोत को मर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने की सलाह देते हुए कहा कि इतने अनुभवी व्यक्ति को ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता। पायलट ने कहा कि सबको एक ना एक दिन कुर्सी खाली करनी पड़ती है।
पायलट ने कहा कि 2018 के विधानसभा चुनाव में मेरे प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए प्रदेश कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मिलकर बीजेपी को हराया था। तब हमारी सरकार बनी थी। गहलोत साहब दो बार सीएम बने। उनके सीएम रहते हुए हम लोग दो बार पार्टी चुनाव हारी। इसके बावजूद तीसरी बार पार्टी आलाकमान ने कहा कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनना है तो हम लोगों ने इस फैसले को स्वीकार किया।
गहलोत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए पायलट ने कहा, ”मैंने अशोक गहलोत जी के आज के बयानों को देखा है जो मेरे खिलाफ है। इतने अनुभव वाले किसी वरिष्ठ व्यक्ति को, जिन्हें पार्टी ने इतना कुछ दिया है, उनका ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना, पूरी तरह झूठे और निराधार आरोप लगाना शोभा नहीं देता।’’
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान कहा कि जिसने गद्दारी की है, उसे मुख्यमंत्री कैसे बनाया जा सकता है। उन्होंने साफ तौर पर सचिन पायलट का नाम लेकर कहा कि पायलट तो मुख्यमंत्री बन ही नहीं सकते क्योंकि उनके पास तो महज 10 विधायक हैं।
बता दें कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच अनबन की जड़ में महत्वाकांक्षा का बीज है। 2018 से ही सचिन सीएम पद के दावेदार हैं, उनके नेतृत्व में पार्टी ने राजस्थान में जीत भी हासिल की लेकिन कुर्सी मिली गहलोत को। उसके बाद ही दोनों के बीच तनातनी शुरू हो गई। पहली अनबन जुलाई 2020 में तब सामने आई जब पायलट खेमे के 18 विधायकों ने बगावत कर दी। जवाबी कार्रवाई में सचिन पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया। 18 दिन सचिन पायलट खेमे के विधायक मानेसर में रहे। 10 अगस्त को सुलह हुई और 14 अगस्त 2020 को गहलोत ने विधानसभा में समर्थन हासिल कर लिया।
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