श्रीनगर। कश्मीर में सक्रिय मीडिया कर्मियों को धमकी देने वालों और इस षड्यंत्र में शामिल आरोपितों के खिलाफ नकेल कसना शुरू हो गई है। पुलिस ने कश्मीर के श्रीनगर, अनंतनाग और कुलगाम जिलों के 10 ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है।
मंगलवार को आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) की ओर से कश्मीर के पत्रकारों की हिट लिस्ट जारी की गई। इन्हें अंजाम भुगतने की चेतावनी दी गई। राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस की पूर्व संध्या पर भेजी गई चेतावनी को मीडिया संगठनों ने प्रेस पर हमला और इसे काला दिवस बताया था। सोशल मीडिया पर पत्रकारों के नाम के आगे यह बताया गया कि उन्हें धमकी क्यों दी गई। बताया जाता है कि आतंकियों की धमकी से डरे सहमे पत्रकारों में से कुछ ने फेसबुक पर अपना इस्तीफा जारी किया है तो कुछ जम्मू चले आए।
जम्मू और श्रीनगर में पत्रकारों की ओर से इस प्रकार की धमकी की निंदा की जा रही है। उनका कहना है कि इस प्रकार की धमकियां तो प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि किसी प्रकार की कोई अनहोनी न हो। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों को मिली आतंकी धमकी की निंदा की है। गिल्ड ने एक बयान में कहा, ‘कश्मीर में पत्रकार अब खुद को राज्य के अधिकारियों के साथ-साथ आतंकवादियों के निशाने पर पाते हैं, जो कि 1990 के दशक में बढ़े हुए आतंकवाद के वर्षों की याद दिलाता है।’
इस हिट लिस्ट को आतंकी मुख्तार बाबा ने तैयार किया था। इतना ही नहीं इस हिट लिस्ट को बनाने में कश्मीर के कुछ पत्रकारों व कश्मीर फाइट ब्लाग से जुड़े देश द्रोही ताकतों ने भी मदद की थी। इसके उपरांत सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसे छह पत्रकारों की सूची स्थानीय एजेंसियों को सौंपी जो लगातार मुख्तार बाबा के संपर्क में थे। मुख्तार बाबा का कश्मीर में फैले आतंकवाद से पुराना नाता है। वर्ष 1990 में बाबा कश्मीर की जेल में कुछ समय के लिए सजा भी काट चुका है। भारत से भागने से पहले मुख्तार बाबा ग्रेटर कश्मीर ओर कश्मीर आब्जर्वर सहित कई मीडिया संस्थानों में काम कर चुका है। यही कारण है कि कश्मीर में सक्रिय मीडिया कर्मियों की उसे काफी जानकारी है।
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