गोरखपुर। यूपी के गोरखपुर जिले में पिता और दो बेटियों ने दुपट्टे के सहारे फंदा बनाकर खुदकुशी कर ली। कमरे में एक सुसाइड नोट मिला है। यह तोते के पिंजड़ों के पास रखा था। इसमें दोनों तोतों को पिंजड़े से उड़ा देने का जिक्र था। शुरुआती जांच में परिवार के करीब 12 लाख रुपए से अधिक कर्ज में डूबे होने की बात सामने आई है।
घटना शहर के शाहपुर इलाके के गीता वाटिका स्थित घोसीपुरवा की है। जितेंद्र श्रीवास्तव (45) अपनी दो बेटियों मान्या श्रीवास्तव उर्फ रिया (16) और मानवी श्रीवास्तव उर्फ जिया (14) के साथ रहते थे। उनके साथ पिता ओम प्रकाश (65) भी रहते हैं जबकि बगल में जितेंद्र के भाई का घर है। जितेंद्र की पत्नी की दो साल पहले कैंसर से मौत हो चुकी है। जितेंद्र टेलरिंग का काम करते थे।मंगलवार सुबह पिता ओम प्रकाश नाइट गार्ड की ड्यूटी करके घर पहुंचे। ओम प्रकाश जब ड्यूटी पर रात में जाते थे तो बाहर से ताला लगाकर जाते थे, ताकि सुबह आने पर वो खुद बाहर से गेट खोलकर आ जाएं। लेकिन, मंगलवार सुबह जब लौटे तो गेट पहले से खुला था। वह अंदर पहुंचे तो चीख पड़े। एक कमरे में उनकी दोनों पोतियों मान्या और मानवी के शव लटके थे। दूसरे कमरे में बेटे जितेंद्र का शव लटका हुआ था। ओम प्रकाश चिल्लाते हुए बाहर भागे। तुरंत पुलिस को सूचना दी। एक घर से तीन शवों के लटके होने की सूचना पर हड़कंप मच गया। कुछ ही देर में पुलिस के सीनियर अफसर मौके पर पहुंच गए। फोरेंसिक टीम को बुलाया गया।
दो पन्ने में मान्या ने लिखी दर्द भरी दास्तां
दो पन्ने में मान्या ने परिवार की दर्ज भरी दास्तां लिखा है। मां की मौत के बाद परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। बेटियों की जिंदगी को संवारने के लिए पिता दिन भर मेहनत करते लेकिन पूरी फीस नहीं भर पा रहे थे। जीविका चलाने के लिए गार्ड की नौकरी करने वाले बाबा रात भर जगते थे।
स्कूल के नोटबुक में मान्या ने लिखा है कि ‘जीवन तुमने मेरी मां को छीन लिया, मेरे पिता इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। आपने कभी दौलत के साथ जीने नहीं दिया। मुझे लगता है कि मैं एक अभिशाप हूं, जिसका दर्द सहन नहीं कर सकती। मुझे कुछ खुशियां दे दो नहीं तो मेरा जीवन अंधकारमय हो जाएगा। सब लोग जानते हैं कि मैं बहुत मजबूत हूं लेकिन अंदर से टूट चुकी हूं।’ डायरी में पुलिस को जितेंद्र श्रीवास्तव का लिखा एक प्रार्थना पत्र मिला। स्कूल के प्रधानाचार्य को संबोधित पत्र में उन्होंने बकाया फीस जमा करने के लिए समय मांगा था।
दोनों तोता छोड़ने का जिक्र
जितेंद्र और उनकी दोनों बेटियां ने घर में चार साल पहले दो तोते पाले थे। दोनों तोते का नाम पैब्लो और लीली रखे थे। पुलिस को घर में दोनों तोते कपड़े से ढकें मिले। पास में सुसाइड नोट पड़ा हुआ था। इसमें लिखा था- हमारे मरने के बाद दोनों तोते को छोड़ दिया जाए। हालांकि, जब परिवार के लोगों ने तोतों को बाहर निकालकर उड़ाने की कोशिश की तो तोते नहीं उड़े। पुलिस ने दोनों तोते को कब्जे में ले लिया है।
23 साल पहले ट्रेन से कट गया था जितेंद्र का पैर
जितेंद्र घर में ही सिलाई का काम करते थे। गांव से गोरखपुर आते समय मैरवा स्टेशन पर 1999 में ट्रेन से एक पैर कट गया था। कृत्रिम पैर के सहारे घर में ही सिलाई करते थे, जबकि उनकी पत्नी सिम्मी की दो साल पहले कैंसर से मौत हो गई है। अच्छी कपड़े की सिलाई करने से क्षेत्र में अच्छे टेलर मास्टर के रूप में पहचान थी।
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