दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को भारत का मुख्य न्यायाधीश बनाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही याचिका पर एक लाख जुर्माना लगाकर हाई कोर्ट ने कहा कि यह याचिका संविधान के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर को देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर पदभार ग्रहण किया। बुधवार सुबह राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चंद्रचूड़ को प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ दिलवाई। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित के सेवानिवृत्त होने के बाद चंद्रचूड़ को अगला सीजेआई नियुक्त किया गया है।
डी वाई चंद्रचूड़ भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के बेटे हैं। पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद उनके बेटे जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ सीजेआई बने हैं। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार पिता के बाद बेटा भी भारत का मुख्य न्यायाधीश बना है। वाई वी चंद्रचूड़ का सीजेआई के तौर पर अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है।
ट्वीन टॉवर ध्वस्त करने का दिया फैसला
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर डी वाई चंद्रचूड़ ने कई अहम फैसले सुनाए। हाल ही में नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावरों को ध्वस्त करने का आदेश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने ही दिया था। जस्टिस चंद्रचूड ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि ये मामला नोएडा अथॉरिटी और डेवलपर के बीच मिलीभगत का एक उदाहरण है। इस मामले में सीधे-सीधे बिल्डिंग प्लान का उल्लंघन किया गया।
इसके अलावा न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के पांच न्यायाधीशों की बेंच ने 9 नवंबर, 2019 को एक सर्वसम्मत फैसले में अयोध्या में राम मंदिर को लेकर भी ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ का भूखंड आवंटित करने का निर्देश दिया।
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