मुंबई। शिवसेना नेता संजय राउत को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट की ओर से बुधवार को जमानत दे दी गई। ईडी की ओर से 1 अगस्त को गिरफ्तार किए गए संजय राउत को तीन महीने बाद जमानत मिली है। संजय राऊत को 2 लाख के मुचलके पर जमानत दी गई है।
मुंबई के उत्तरी उपनगरीय इलाके में पात्रा चॉल प्रोजेक्ट के मामले में ईडी जांच कर रही है। जांच के दौरान उन्हें कई बार पूछताछ के लिए बुलाया गया था। 31 जुलाई को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और ई़डी की हिरासत में 8 दिन बिताने के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। 2 नवंबर, बुधवार को विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम(PMLA) अदालत ने धन शोधन मामले में आरोपी शिवसेना नेता एवं सांसद संजय राउत की जमानत याचिका पर नौ नवंबर तक फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या है मामला?
ईडी की चार्जशीट के मुताबिक सोसाइटी और MHADA के साथ किए गए समझौते के अनुसार उन्हें 672 किरायेदारों का पुनर्वास कर सभी के लिए 767 वर्ग फुट के फ्लैट का निर्माण करना था। इसके लिए MHADA को 111467.82 वर्ग मीटर का एक क्षेत्र दिया गया था। बदले में जमीन पर मुफ्त बिक्री घटक विकसित करने और थर्ड पार्टी के खरीदारों को फ्लैट बेचने का हकदार था।
हालांकि, गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने अपना दायित्व पूरा करने से पहले एफएसआई को बेच दिया। FSI को GACPL (गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड) द्वारा थर्ड पार्टी डेवलपर्स को 1034 करोड़ रुपये में बेचा गया था।
‘संपत्तियों के खरीदने-बेचने की प्रक्रिया में शमिल थे राउत’
ईडी की चार्जशीट के मुताबिक जांच में यह भी पता चला कि संजय राउत के प्रॉक्सी प्रवीण राउत को एचडीआईएल से उनके बैंक खाते में 112 करोड़, जिसे बाद में संपत्ति खरीदने, व्यावसायिक इकाई, परिवार के सदस्यों आदि के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। इस प्रकार, संजय राउत अवैध तरीके से आय प्राप्त करने और संपत्ति के अधिग्रहण के लिए हस्तांतरण और अन्य संस्थाओं को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया में शामिल थे।
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