अहमदाबाद। गुजरात के मोरबी में रविवार को हुए हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। दर्दनाक हादसे में अब तक 143 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और ये संख्या अभी बढ़ सकती है। मोरबी में मच्छु नदी में पूरी रात राहत और बचाव का काम चलता रहा जो आज भी जारी है। अब भी नदी में लोगों की तलाश के लिए NDRF, SDRF, सेना, कोस्ट गार्ड के जवान लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मोरबी जा सकते हैं। इस दौरान उनके घायलों और मृतकों के परिवार वालों से मिलने की संभावना जताई जा रही है।
यह पुल पिछले 6 महीने से बंद था। हाल ही में करीब 2 करोड़ रुपए की लागत से इसके मरम्मत का काम पूरा किया गया था। दिवाली के एक दिन बाद यानी 25 अक्टूबर को इसे आम लोगों के लिए खोला गया था। ब्रिज की क्षमता करीब 100 लोगों की थी, लेकिन रविवार को छुट्टी होने के चलते इस पर करीब 500 लोग जमा थे। इधर, हादसे पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने कहा कि चुनाव की जल्दबाजी में भाजपा ने पुल को लोगों के लिए जल्दी खोल दिया।
गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने कहा कि जाली को निकालने का काम नेवी कर रही है और दो शव मिसिंग है और जैसे ही जाली निकलेगी तो दो शव भी निकल जाएंगे। कुछ देर में ही रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि 5 सदस्यीय समिति मोरबी में मौजूद है रात से ही उन्होंने जांच शुरू कर दी है और हर पहलू को देख कर ही कम्पनी पर क्रिमिनल केस दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए गए है।
सीएम ने किया घटनास्थल का दौरा
मच्छु नदी में डूबे लोगों को निकालने के लिए युद्ध स्तर पर ऑपरेशन शुरू हुआ। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी फौरन अहमदाबाद से मोरबी पहुंचे। उन्होंने हादसे वाली जगह का जायजा लिया। टूटे पुल का जायजा लेने के बाद सीएम पटेल सीधे अस्पताल गए और वहां उन्होंने घायलों से मुलाकात कर उनका हाल जाना। साथ ही डॉक्टर्स की टीम को बेहतर इलाज मुहैया कराने के निर्देश भी दिए।
PM मोदी ने CM पटेल से जानकारी ली
हादसे पर प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने दुख जताया है। उन्होंने CM भूपेंद्र पटेल से घटना की जानकारी ली और मृतकों के आश्रितों को दो लाख और घायलों को 50 हजार रुपए की सहायता देने का ऐलान किया है। CM पटेल ने बताया कि राहत और बचाव कार्य जारी है। पटेल ने भी मृतकों के आश्रितों को 4 लाख और घायलों काे 50 हजार देने की घोषणा की।
गुजरात के टूरिस्ट प्लेस में है शामिल
गुजरात के टूरिस्ट प्लेसेस में शामिल इस पुल का निर्माण 1887 के आसपास करवाया गया था। समय-समय पर पुल की मरम्मत भी की जाती थी। यह ठीक उसी तरह का पुल है, जैसा उत्तराखंड में गंगा नदी पर बना राम और लक्ष्मण झूला है। दोनों ही पुल सस्पेंशन वाले हैं, जिसकी वजह से उस पर चलने से वे ऊपर-नीचे की ओर हिलते हैं। 1.25 मीटर चौड़ा और 230 मीटर लंबा यह पुल दरबारगढ़ पैलेस और लखधीरजी इंजीनियरिंग कॉलेज को आपस में जोड़ता है। यह ब्रिटिश शासनकाल की बेहतरीन इंजीनियरिंग का भी नमूना रहा है।
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