मुम्बई। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने शनिवार को कहा कि पुलिस स्टेशन के अंदर वीडियो रिकॉर्ड करना अपराध नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) के तहत पुलिस थाना निषिद्ध (प्रतिबंधित) स्थान नहीं है।
मार्च, 2018 में एक पुलिस स्टेशन के अंदर वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए ओएसए के तहत रवींद्र उपाध्याय के खिलाफ मामला दायर किया गया था, जिसे जस्टिस मनीष पिटाले और वाल्मिकी मेनेजेस की बेंच ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ओएसए की धारा 2 (8) में परिभाषित ‘निषिद्ध स्थान’ की परिभाषा प्रासंगिक नहीं है। यह एक विस्तृत परिभाषा है, जिसमें विशेष रूप से पुलिस स्टेशनों को उन स्थानों/प्रतिष्ठानों में शामिल नहीं किया गया है है, जिन्हें ‘निषिद्ध स्थान’ की परिभाषा में शामिल किया जा सकता है।
बेंच ने अपने आदेश में प्रतिबंधित स्थानों में पर जासूसी से संबंधित ओएसए की धारा-3 औ धारा-2 (8) का उल्लेख किया और कहा कि कानून में एक पुलिस स्टेशन को प्रतिबंधित स्थान के रूप में वर्णित नहीं किया गया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ओएसए की धारा 2(8) में परिभाषित ‘निषिद्ध स्थान’ की परिभाषा प्रासंगिक है।
क्या था पूरा मामला
शिकायत के मुताबिक, पड़ोसी से विवाद के बाद शिकायत को लेकर लेकर रवींद्र उपाध्याय अपनी पत्नी के साथ वर्धा पुलिस स्टेशन गए ते। जहां उन्होंने पड़ोसी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, वहीं उपाध्याय के खिलाफ भी क्रॉस शिकायत दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने उस समय महसूस किया था कि उपाध्याय अपने मोबाइल फोन पर थाने में हो रही चर्चा का वीडियो बना रहे थे। कोर्ट ने मामले में आवेदक उपाध्याय के खिलाफ दर्ज एफआईआर और आरोपपत्र को खारिज कर दिया।
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