वाशिंगटन। मशहूर लेखक सलमान रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई है और उनका एक हाथ काम नहीं कर रहा है। रुश्दी पर पश्चिमी न्यूयॉर्क में हुए हमले के बाद उनके सेहत से जुड़ी यह बड़ी अपडेट सामने आई है। लेखक पर न्यूयॉर्क सिटी में एक साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान हमला हुआ था। उनकी गर्दन और पीठ पर कई बार चाकू से वार किया गया था।
साहित्यिक एजेंट एंड्रयू वाइल ने प्रकाशित एक लेख में सलमान रुश्दी के स्वास्थ्य की जानकारी दी है। उनके सहायक ऐंड्र्यू वाइल ने बताया कि 75 साल की उम्र में हुए हमले की वजह से उनकी आंख की रोशनी चली गई है। उन्होंने बताया कि रुश्दी की गर्दन पर तीन बड़े घाव हो गए थे। एंड्रयू वाइल ने स्पेनिश समाचार पत्र एल पेस के साथ साक्षात्कार में रुश्दी पर हुए क्रूर हमले और उनको लगी गंभीर चोटों के बारे में जानकारी दी।
सलमान रुश्दी पर हमला करने वाले शख्स की पहचान ईरानी नागरिक के रूप में हुई थी। वह उनके उपन्यास को लेकर नाराज था और ईरानी धर्मगुरू अयातुल्लाह अली खामनेई के फतवे को पूरा करना चाहता था। भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक रुश्दी के उपन्यास ‘द सैटनिक वर्सेज’ को लेकर काफी विवाद था।
भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक हैं रुश्दी
सलमान रुश्दी का जन्म भारत में कश्मीरी मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके उपन्यास पर विवाद होने के बाद उन्हें ब्रिटिश पुलिस की सुरक्षा में 9 सालों तक छिप-छिपकर रहना पड़ा। रुश्दी यह उपन्यास 1988 में प्रकाशित हुआ था। इसके बाद 1989 में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामनेई ने उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया था।
ईरान ने फतवा किया था जारी
1989 में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामनेई ने भी रुश्दी को मौत की धमकी दी थी। उस फतवे के बाद रुश्दी को ब्रिटिश सरकार ने पुलिस सुरक्षा प्रदान की। सलमान रुश्दी भारतीय मूल के लेखक हैं। उन्होंने द सैटर्निक वर्सेज और मिडनाइट चिल्ड्रन जैसे प्रसिद्ध उपन्यास लिखे हैं। मिडनाइट चिल्ड्रन के लिए रुश्दी को 1981 में बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1988 में आई उनकी चौथी उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज को लेकर काफी बवाल भी हुआ था।
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