भारतीय मूल की ब्रिटेन की गृहमंत्री ने 43 दिन में ही दे दिया पद से इस्तीफा

लंदन। ब्रिटेन में भारतीय मूल की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन (42) ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने निजी इमेल से सरकारी तंत्र को संदेश भेज दिया था। नियमों के अनुसार यह गंभीर गलती थी। इसी के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

सुएला ने कहा, उन्होंने एक सरकारी दस्तावेज अपने निजी ईमेल से एक विश्वस्त संसदीय सहयोगी को भेजा था। यह दस्तावेज सरकार की आव्रजन नीति से संबंधित मंत्री का बयान था। जैसे ही मुझे अपनी गलती का पता चला, वैसे ही इसकी जानकारी अधिकारियों को दी। कैबिनेट सचिव को उसके बारे में बताया। इस्तीफा देने से पहले सुएला ने प्रधानमंत्री ट्रस से मुलाकात की और उनके साथ कुछ देर बात की। प्रधानमंत्री ने कहा, मंत्री पद से जुड़े आचरण और गोपनीयता का सम्मान होना चाहिए।

सुएला ब्रेवरमैन ने हाल ही में भारत को लेकर एक बयान से विवाद खड़ा कर दिया था। सुएला ब्रेवरमैन ने आव्रजन संबंधी टिप्पणी में कहा था कि सबसे बड़ी संख्या में भारतीय, अपनी वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी ब्रिटेन में रुके रहते हैं। उन्होंने कहा था, ‘‘मुझे भारत के साथ खुली सीमाओं वाली माइग्रेशन नीति को लेकर आपत्ति है क्योंकि मुझे नहीं लगता कि लोगों ने इसके लिए ब्रेक्जिट के पक्ष में मतदान किया था।’’

भारतीय मूल की हैं सुएला ब्रेवरमैन
सुएला गोवा में जन्मे पिता और तमिल मूल की मां की संतान हैं। उन्होंने ब्रिटेन की गृह मंत्री के रूप में केवल 43 दिन कार्य किया। इस दौरान भारतीय वीजा को लेकर उनका बयान खासा विवाद में आया। लेकिन उन्होंने भारत के साथ मुक्त व्यापार संधि किए जाने के लिए ब्रेसब्री जताकर उस बयान से हुए नुकसान की भरपाई की कोशिश भी की। जबकि नए गृह मंत्री शैप्स वही नेता हैं जिन्होंने चार अक्टूबर को कहा था कि ट्रस केवल दस दिन तक ही प्रधानमंत्री बनी रह सकती हैं।

1834 के बाद सबसे छोटा कार्यकाल
सुएला 43 दिनों के लिए ब्रिटेन की गृह मंत्री रही हैं। 43 दिनों के कार्यकाल के साथ ब्रेवरमैन ड्यूक ऑफ वेलिंगटन के बाद सबसे छोटे कार्यकाल वाली गृह मंत्री हैं। नवंबर से दिसंबर तक एक महीने के लिए 1834 में ड्यूक ऑफ वेलिंगटन ब्रिटेन के गृहमंत्री थे। 20वीं और 21वीं सदी के इतिहास की बात करें को सुएला सबसे छोटे कार्यकाल वाली गृहमंत्री हैं। ब्रेवरमैन ने हाल ही में प्रवासी भारतीयों को लेकर टिप्पणी की थी। माना जा रहा है कि उनकी इस टिप्पणी का असर ब्रिटन-भारत के फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हुआ है।

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