नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका के जरिए केंद्र सरकार को निर्देशित करने की मांग की गई है थी कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए लेकिन न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट गैर-सरकारी संगठन गोवंश सेवा सदन और अन्य की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसमें केंद्र को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का निर्देश देने का मांग की गई थी। जस्टिस एस के कौल और जस्टिस अभय एस ओका ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर इससे कौन-सा मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है। पीठ ने कहा, ‘क्या यह अदालत का काम है? आप ऐसी याचिकाएं दायर ही क्यों करते हैं कि हमें उस पर जुर्माना लगाना पड़े? कौन-से मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ? आप अदालत आए हैं तो क्या हम नकारात्मक नतीजे की परवाह किए बिना यह करें?’
वहीं, याचिकाकर्ता की तरफ से उपस्थित हुए वकील ने कहा कि गोरक्षा बहुत जरूरी है। ऐसे में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने वकील को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यह याचिका वापस ले लें, नहीं तो जुर्मान लगा दिया जाएगा। इसके बाद वकील ने याचिका वापस ले ली।
गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग पुरानी
गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग पुरानी है। बीते साल दिसंबर में राज्यसभा में भाजपा के एक सदस्य ने गौ-हत्या पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय कानून बनाए जाने की मांग की थी। बीजेपी नेता किरोड़ी लाल मीणा ने गौहत्या पर रोक के लिए केंद्रीय कानून बनाने के साथ ही गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि सनातन और हिंदू धर्म में गाय की पूजा की जाती है।
भाजपा सांसद ने शून्यकाल के दौरान कहा, ‘गाय भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और उसे माता का दर्जा प्राप्त है। ऐसे में गौ-हत्या होने से सामाजिक समसरता प्रभावित होने लगती है।’ वहीं, भाजपा के महेश पोद्दार ने बायो-एथनॉल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए शीघ्र ही नीति बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम की खरीद पर एक ओर विदेशी मुद्रा खर्च होती है, वहीं इसके उपयोग से प्रदूषण भी बढ़ता है। ऐसे में अगर बायो-एथनॉल के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए तो किसानों को भी फायदा मिलेगा।