पटना। बिहार के बगहा में आतंक का पर्याय बन चुका आदमखोर बाघ शनिवार को मार दिया गया। यह बाघ अभी तक 9 लोगों को अपना शिकार बना चुका था, जिनमें से 4 को पिछले सिर्फ 3 दिनों में मारा है।
पश्चिम चंपारण जिले के बगहा के इलाके में लगातार बाघ के हमले के बाद बाघ को मारने के लिए आदेश जारी किया गया था। वन विभाग की 400 से ज्यादा लोगों की टीम पिछले 24 घंटे से बाघ की तलाश में जुटी था लेकिन बाघ को तलाश पाने में टीम को शनिवार सुबह तक सफलता नहीं मिल सकी थी। इसके बाद करीब 7 घंटे का ऑपरेशन चला और बाघ को मारने में सफलता मिली। नरभक्षी बाघ को मारने के लिए सात सदस्यीय टीम में जिसमें बगहा, बेतिया व मोतिहारी एसटीएफ व जिला पुलिस के तेज तर्रार सात जवानों को अत्याधुनिक असलहों के साथ भेजा गया था।
वीटीआर बिहार के चंपारण के साथ ही नेपाल और उत्तर प्रदेश तक फैले वनक्षेत्र का हिस्सा है। यहां जंगल के आस-पास काफी गांव बसे हुए हैं। इससे सटे यूपी और नेपाल के जंगलों में 50 से ज्यादा बाघ होने का अनुमान है। हालांकि, बाघ आम तौर पर आबादी वाले इलाकों में नहीं जाते हैं लेकिन माना जा रहा है कि यह बाघ आदमखोर हो गया। इस वजह से वह लगातार गांवों में जा रहा था।
पटना जू के पूर्व वेटनरी अफसर डॉ अजीत कुमार बताते हैं कि बाघों के आदमखोर होने का बड़ा कारण जंगल की कमी या फिर भोजन की कमी होना है। सिर्फ बुजुर्ग या जख्मी बाघ ही आदमखोर नहीं होते हैं, युवा बाघ भी आदमखोर हो जाते हैं। कभी-कभी बाघों को शारीरिक तौर पर कोई दिक्कत होने से भी वह आदमखोर हो जाते हैं। शारीरिक तौर पर दिक्कत होने जैसे दांत टूट जाने या फिर लगने के कारण भी बाघ नरभक्षी हो जाते हैं। वह जंगल से बाहर आते हैं और आस पास के इलाकों में इंसानों और मवेशियों को ही अपना शिकार बनाने लगते हैं।
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