दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी को शहर के मुंडका इलाके में सीवर में काम करने के दौरान जहरीली गैस से मरने वाले दोनों लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देष दिए हैं। हाईकोर्ट ने मामले में डीडीए को फटकार लगाते हुए कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है की आजादी के 75 साल बाद भी गरीब लोग हाथ से मेला उठाने का काम करने के लिए मजबूर हैं।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने डीडीए को 30 दिनों के अंदर मृतकों के परिजनों को 10- 10 लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि मुआवजे का भुगतन तुरंत किया जाना चाहिए था लेकिन में डीडीए ने कहा था की मारने वाले निजी तौर पर काम कर रहे थे। इस पर पीठ ने कहा, यह आपके कठोर रवैये की अति है। हम एक के बाद एक समितियों का गठन नहीं करते रहेंगे, इससे कुछ नहीं होग।
पीठ ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के 75 साल बाद भी गरीब लोगों को मैला ढोने का काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता । अदालत ने पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने के अलावा डीडीए से यह भी कहा कि वह सफाई कर्मचारी आंदोलन केस में सुप्रीम कोर्ट के 2014 के फैसले के संबंध में अनुकंपा नियुक्ति के लिए मृतकों के परिवार वालों के दावों पर भी विचार करें।
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