नई दिल्ली। पॉम ऑयल के आयात को लेकर केन्द्र सरकार की नीतियों का असर बाजार में दिखने लगा है। तीन साल बाद पॉम ऑयल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर से कम हुई हैं। कोरोना से पहले 2019 में पॉम ऑयल 78 रुपये प्रति लीटर के आसपास था। वहीं सोया ऑयल की कीमतें भी 100 रुपये प्रति लीटर से कम थी। लेकिन सरकार द्वारा आयात को लेकर लगाए गए कुछ प्रतिबंधों के बाद कीमतें लगातार बढ़ने लगीं।
पॉम ऑयल की कीमत 160 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई थी। आयात को लेकर राहत की घोषणा के बाद पॉम आयल की कीमतों में लगातार कमी देखी जा रही है। सोमवार को पॉम ऑयल 92 रुपये प्रति लीटर की दर से बिका। खाद्य तेलों की बिक्री में 50 फीसदी हिस्सा पॉम आयल का होता है।
सरसों तेल के साथ ही आटा और अरहर के दाल की कीमतें भी पिछले डेढ़ महीने से स्थिर हैं। लोकल आटा जहां 2800 से 2900 रुपये कुंतल बिक रहा है। वहीं अरहर दाल 95 से 105 रुपये प्रति किलो के बीच बिक रहा है। 14 महीने पर 1100 रुपये गिरी एक टिन पॉम की कीमत अगस्त 2021 में पॉम की कीमतें बढ़नी शुरू हुई थी। मार्च महीने में पॉम की कीमत 2800 प्रति टिन पहुंच गई थी,जिससे ब्रेड और बिस्किट की कीमतें बढ़ गई थी। मंडी में पॉम 1610 प्रति टिन पहुंच गई हैं। 2850 रुपये तक बिकने वाला सोया तेल 1890 रुपये प्रति टिन की दर से बिक रहा है।
कोल्हू पर सरसों तेल की कीमतें नहीं कम हो रही
पैकिंग वाले सरसों तेल की कीमतें भले ही 145 से 150 रुपये लीटर पहुंच गई हों, लेकिन कोल्हू मशीनों पर सरसों तेल की कीमतें अभी भी 210 से 220 रुपये प्रति लीटर है। रेलवे महिला उद्योग के केन्द्र पर सरसों तेल अभी भी 240 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। बता दें कि सरसों की कीमतें 8800 रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच गई थीं। लेकिन वर्तमान में कीमतें 8000 से 8300 रुपये प्रति कुंतल तक गिर गईं हैं।