लखनऊ। पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने स्वामी के खिलाफ प्रदेश सरकार द्वारा केस वापस लेने के फैसले को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि याची अदालत में समर्पण कर जमानत अर्जी दाखिल करें तथा कोर्ट नियमानुसार तय करें।
शाहजहांपुर की अदालत ने चिन्मयानंद के केस वापसी के फैसले को खारिज करते हुए मुकदमा चलाए जाने का आदेश दिया था। शाहजहांपुर की जिला अदालत के इस फैसले के खिलाफ स्वामी चिन्मयानंद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका दायर की थी। इस याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने कहा, निचली अदालत के फैसले पर गौर करने के बाद इस अदालत का विचार है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की संपूर्ण प्रक्रिया, उच्चतम न्यायालय द्वारा तय मानकों के अनुरूप नहीं है और इस तरह से यह अदालत इसमें हस्तक्षेप करना ठीक नहीं समझती।
कोर्ट ने कहा कि पिक एंड चूज की पॉलिसी के तहत किसी खास व्यक्ति को राहत देने का फैसला सही नहीं है। टॉप टू बॉटम सभी लोगों के लिए कानून एक बराबर है। कमजोर लोगों को संरक्षण मुहैया कराना कानून की जिम्मेदारी है।
उल्लेखनीय है कि स्वामी चिन्यमानंद पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज होने का यह मामला लंबे समय तक मीडिया में सुर्खियों में बना रहा। आऱोप लगाने वाली शिष्या ने शुरू में तमाम इल्जाम लगाए लेकिन बाद में वह भी पीछे हट गई थी। अब सरकार ने केस वापस लेने का फैसला किया लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया।
यह है मामला
स्वामी चिन्मयानंद पर हरिद्वार के अपने आश्रम में साल 2011 में एक शिष्या को बंधक बनाकर उसके साथ रेप करने का आरोप है। आश्रम से छूटने के बाद शिष्या और उसके परिवार वालों ने शाहजहांपुर की चौक कोतवाली में आईपीसी की धारा 376 व 506 में एफआईआर दर्ज कराई थी। राज्य सरकार ने नौ मार्च 2018 को चिन्मयानंद के खिलाफ दर्ज रेप के केस को वापस लेने का निर्णय लिया था।