नई दिल्ली। आतंकी गतिविधियों में लिप्त संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर केंद्र सरकार द्वारा पांच साल की पाबंदी लगाने के बाद अब उसका ट्विटर अकाउंट बंद कर दिया गया है। पीएफआई के कई नेताओं व कार्यकर्ताओं को गैर कानूनी गतिविधियां संचालित करने के आरोप मे गिरफ्तार किया जा चुका है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों से संबंध रखने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश का आरोप लगाते हुए आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। अधिसूचना के अनुसार पीएफआई के आठ सहयोगी संगठनों- रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल के नाम भी यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किए गए संगठनों की सूची में शामिल हैं।
इस तरह जुड़े हैं पीएफआई और सिमी के तार
पीएफआई को स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का नया रूप कहा जाता है, इसके पीछे कई ठोस वजह हैं। सिमी को 2001 में प्रतिबंधित कर दिया गया था। जानकारी के मुताबिक, इस संगठन के बहुत से लोग धीरे-धीरे पीएफआई में शामिल होते चले गए। सिमी के संचालन में अहम भूमिका निभाने वाले कम से कम तीन बड़े नाम पीएफआई से स्पष्ट तौर पर जुड़े हैं जैसे।
प्रोफेसर पी कोया: पीएफआई का राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य था। यह सिमी का संस्थापक सदस्य था। इसने 1982 में सिमी से इस्तीफा दे दिया था। कोया ने 1993 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) की स्थापना की। यही एनडीएफ आगे चलकर पीएफआई बना।
ई अब्दुल रहीमन: 1982 से 1993 के बीच सिमी का महासचिव था। इसके बाद पीएफआई के वाइस चेयरमैन बना।
ई अबुबाकर: पीएफआई के राजनीतिक दल सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) का अध्यक्ष था। 1982 से 1984 के बीच सिमी की केरल यूनिट का प्रमुख था।
एनआईए के पास पीएफआई से जुड़े 19 केस
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के अनुसार उसके पास पीएफआई से जुड़े 19 केस हैं। पीएफआई से जुड़े कई मामलों में अब तक 46 आरोपी दोषी करार दिए जा चुके हैं। वहीं पीएफआई से जुड़े 355 सदस्यों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है।
देश के खिलाफ पाकिस्तान से मिलाया हाथ
जांच एजेंसियों की मानें तो पीएफआई सदस्य मोहम्मद साकिब हवाला के जरिए पाकिस्तान से पैसे भेजता था। यही नहीं पीएफआई के सदस्यों का संबंध पाकिस्तानी हैंडलरों से भी था जो पीएफआई के साथ मिलकर देश में आंतक फैलाने की साजिश रचते थे।
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