नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज 1989 में हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की एसआईटी से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। यह याचिका नरसंहार में मारे गए टीका लाल टपलू के बेटे आशुतोष टपलू ने दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर उन्होंने यह याचिका वापस ले ली। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को मामले में सही उपाय के बारे में पता करने के लिए कहा है।
कश्मीर में आतंकवादी के हाथों मारे गए टीका लाल टपलू के बेटे आशुतोष टपलू की तरफ से याचिका दायर की गई थी। उन्होंने शीर्ष न्यायालय से कश्मीरी पंडितों की हत्या और पलायन के मामले में जांच की मांग की थी। याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि इस तरह की याचिकाओं को पहले भी खारिज किया जा चुका है। याचिकाकर्ता ने 1984 सिख नरसंहार के तीन दशक बाद जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित एसआईटी का भी हवाला दिया और टपलू की हत्या की एसआईटी जांच की मांग की। कोर्ट ने कहा कि हमने पहले इससे मिलती-जुलती याचिका खारिज की है। अब इसे नहीं सुन सकते।
इस साल मार्च में भी एक कश्मीरी पंडित संगठन की तरफ से शीर्ष न्यायालय के साल 2017 के आदेश के खिलाफ क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की गई थी। उस आदेश में कोर्ट ने 1989-90 और बाद के सालों के दौरान कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर जांच की याचिका को खारिज कर दिया था।
‘रूट्स इन कश्मीर’ की तरफ से दायर याचिका में SC के उन आदेशों का जिक्र किया गया था, जिसमें 24 जुलाई 2017 रिट याचिका और 25 अक्टूबर 2017 को समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने ये याचिकाएं इस आधार पर खारिज की थीं कि मामले को 27 साल से ज्यादा का समय हो चुका है और इस बात की संभावनाएं कम हैं कि सबूत उपलब्ध हो।
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