दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट को मोहम्मद जुबैर के आपत्तिजनक ट्वीट मामले में एक और जानकारी दी है। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि जुबैर के पास से जब्त किए गए एक लैपटॉप और अन्य उपकरणों को डेटा हासिल करने के लिए फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) में जमा किया गया है। इससे 2018 में एक हिंदू देवता के खिलाफ उनके कथित आपत्तिजनक ट्वीट के सिलसिले में उसकी व्याख्या की जा सकेगी। पुलिस ने कथित आपत्तिजनक ट्वीट से जुड़े एक मामले में जुबैर की गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती की कवायद के खिलाफ दायर एक याचिका के जवाब में हाई कोर्ट के सामने दाखिल हलफनामे में यह बात कही है।
जुबैर ने एक निचली अदालत के 28 जून के आदेश की वैधता और औचित्य को चुनौती दी है, जिसमें फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट के संस्थापक को चार दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया गया था। अंतरिम राहत के तौर पर जुबैर के वकील ने मांग की है कि जब तक उच्च न्यायालय द्वारा याचिका पर फैसला नहीं हो जाता पुलिस जुबैर के लैपटॉप को नहीं छेड़ेगी क्योंकि ट्वीट मोबाइल फोन के जरिये किया गया था न कि कंप्यूटर से। जुबैर को अंतरिम जमानत दिए जाने को लेकर 20 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।
पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा है कि पुलिस हिरासत के दौरान जुबैर के बयान के आधार पर ही उसके बेंगलुरू स्थित आवास से एक लैपटॉप, दो चालान और एक हार्ड डिस्क बरामद की गई है जो भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत स्वीकार्य है और इस बारे में सुनवाई के दौरान विचार किया जाना चाहिए।
पुलिस ने कहा कि निचली अदालत के पुलिस हिरासत आदेश को रद्द करने से सामानों की बरामदगी (साक्ष्य के तौर पर) अमान्य हो जाएगी। हालांकि पुलिस ने कहा है कि याचिकाकर्ता सुपरदारी की स्थिति में जब्त सामग्रियों को तब वापस पाने के लिए संबंधित मंच से अनुरोध किया जा सकता है, जब इन सामग्रियों की जांच पूरी हो जाए।
पुलिस ने जुबैर की याचिका को निष्प्रभावी करार देते हुए खारिज करने की मांग की तथा कहा कि पुलिस हिरासत आदेश को रद्द करने के संबंध में मांगी गई राहत नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है। अदालत ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए जुबैर के वकील को समय देते हुए इसकी अगली सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की।
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