गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को कहा कि पिछले 10 वर्षों में राज्य के विभिन्न हिस्सों से कुल 114 “जिहादियों” को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस साल 40 जिहादी पकड़े गए।
असम विधानसभा में कांग्रेस विधायक शर्मन अली अहमद के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में सरमा ने कहा कि 114 “जिहादियों” में से 65 प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के सदस्य थे और नौ हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) से थे।
मुख्यमंत्री ने भाजपा विधायक तेराश गोवाला को एक अलग जवाब में बताया कि इस सूची में अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के 40 कैडर भी शामिल हैं, जिन्हें इस साल मार्च से गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कहा, “114 कैडरों में से, 23 गिरफ्तार लोगों के मामले जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को ट्रांसफर कर दिए गए थे। शेष 91 लोगों में से, 54 के मामले अभी भी जांच के लिए लंबित हैं, जबकि शेष 37 मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए थे और उन पर मुकदमा चल रहा है।”
विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया के एक अलग सवाल में, सरमा ने कहा कि 2016 में राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से कथित “जिहादी गतिविधियों” के लिए 84 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्षों में गिरफ्तार किए गए लोगों में से 10 मदरसों से जुड़े थे और उन्होंने मस्जिदों, मदरसों और अन्य धार्मिक सभाओं में व्याख्यान देकर लोगों को प्रभावित करने की कोशिश की।
सरमा ने कहा, “उन्होंने जिहाद से संबंधित किताबें भी वितरित की थीं और एक दूसरे के साथ संपर्क बनाए रखने के लिए ओमेमो और ब्लैबर जैसे मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल किया। अब तक, ऐसे मामलों में कोई भी व्यक्ति नहीं मारा गया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में बारपेटा, बोंगाईगांव, मोरीगांव, धुबरी और गोलपारा जिलों को जिहादी गतिविधियों के केंद्र के रूप में पहचाना गया है। सरमा ने सदन को बताया, “विदेशी नागरिक जिहादी गतिविधियों में शामिल हैं। ऐसे देशों में बांग्लादेश सबसे प्रमुख है।” उन्होंने कहा कि इस साल गिरफ्तार किए गए 40 लोगों में से दो मोरीगांव और धुबरी जिलों की रहने वाली महिलाएं हैं।
जिहादी की परिभाषा के बारे में पूछे जाने पर सरमा ने कहा, “एक कट्टरपंथी समूह का सदस्य जो हथियारों के इस्तेमाल से आतंकवाद का समर्थन करता है उसे जिहादी कहा जाता है।” उन्होंने कहा, “इस्लाम के विरोधियों के खिलाफ मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों द्वारा युद्ध छेड़ना, यह कहना कि धर्म खतरे में है, यह सब जिहाद कहलाता है। ऐसे कट्टरपंथी समूहों के सदस्यों को जिहादी कहा जाता है।”
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