नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों की सुरक्षा और जानवरों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। जो लोग आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं, उन्हें टीका लगाने और पशुओं द्वारा किसी पर हमला किए जाने की स्थिति में खर्च उठाने के लिए जिम्मेदार बनाया जा सकता है। जिन निर्दोष लोगों को आवारा कुत्ते काटते हैं, उन्हें भी बचाने की जरूरत है।
आवारा कुत्तों को लेकर दायर याचिकाओं पर विचार करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि इसका कोई समाधान निकालना होगा और यह समाधान तार्किक होना चाहिए। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 28 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
चिप के माध्यम से नहीं किया जाना चाहिए ट्रैक
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हममें से ज्यादातर लोग कुत्तों से प्यार करते हैं। मैं भी कुत्तों को खिलाता हूं। मेरे दिमाग में एक बात आई। लोगों को (कुत्तों का) ख्याल रखना चाहिए, लेकिन उन्हें चिह्नित किया जाना चाहिए। चिप के माध्यम से उन्हें ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए। मैं इसके पक्ष में नहीं हूं।
कई जगहों पर स्थानीय निकाय ने दिया है मारने का आदेश
केरल और मुंबई समेत कई स्थानों पर आवारा कुत्ते की समस्या ने गंभीर रूप ले लिया है। इसे देखते हुए देश के विभिन्न स्थानीय निकायों ने आवारा कुत्तों को मारने का आदेश जारी कर दिया है। इस मुद्दे पर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं।
कानून के मुताबिक कार्रवाई का अधिकार
कुछ गैर सरकारी संगठनों और अन्य लोगों ने बांबे हाई कोर्ट और केरल हाई कोर्ट समेत विभिन्न उच्च न्यायालयों के फैसले के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट दरवाजा खटखटाया है। इन हाई कोर्टों ने नगर निगम अधिकारियों को कानून के मुताबिक आवारा कुत्ते से निपटने की अनुमति दे दी है।
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