कन्याकुमारी। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को विवादित कैथलिक पादरी जार्ज पोनैय्या से तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में मुलाकात की। इस मुलाकात का एक वीडियो क्लिप तेजी से वायरल हो रहा है। पिछले साल जॉर्ज पोन्नैया ने एक विवादित बयान था जिसके बाद पोन्नैया को गिरफ्तार किया गया था। पादरी के ऊपर सांप्रदायिक दंगों को भड़काने के आरोप लगे और कई शिकायतें भी दर्ज कराई गई। बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और मद्रास हाई कोर्ट ने भी कड़ी फटकार लगाई थी।
सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में पादरी और राहुल गांधी बातचीत कर रहे हैं। राहुल ने पूछा, ‘यशु मसीह ईश्वर का रूप हैं ? क्या यह सही है?’ इस पर पादरी जॉर्ज पोन्नैया इस वीडियो में राहुल गांधी को समझाते हैं कि जीसस क्राइस्ट ही असली भगवान हैं, शक्ति या बाकी देवता नहीं हैं। राहुल गांधी की पादरी के साथ मुलाकात और हिंदू देवी-देवताओं के अपमान वाले वीडियो क्लिप को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर हमला बोला है। भाजपा प्रवक्ता शहजात पूनावाला ने कहा कि यह राहुल गांधी का नफरत जोड़ो अभियान है।
उन्होंने जॉर्ज पोन्नैया जैसे व्यक्ति को भारत जोड़ो यात्रा का पोस्टर बॉय बनाया है, जिसने हिंदुओं को चुनौती दी, धमकी दी और भारत माता के बारे में अनुचित बातें कहीं. कांग्रेस का हिंदू विरोधी होने का लंबा इतिहास रहा है।
पिछले ही साल हुई थी गिरफ्तारी
पादरी पोन्नैया और भड़काऊ बयान का लंबा इतिहास रहा है जिसके कारण पहले भी वे मुश्किलों में फंसे हैं। पिछले साल जुलाई में एक हेट स्पीच मामले में उन्हें मदुरै के काल्लीकुडी में गिरफ्तार कर लिया गया था। जॉर्ज पोन्नैया कहा था कि ईसाई जूते पहनते हैं ताकि उनके पैरों में खुजली न हो। पादरी ने भूमा देवी और भारत माता को संक्रमण और गंदगी का स्रोत बताया था। पुलिस ने पादरी जॉर्ज पोन्नैया के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया था। जिसके बाद पादरी को गिरफ्तार कर लिया गया था।
गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर मद्रास हाई कोर्ट ने भी जमकर फटकार लगाई थी। पोन्नैया की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि कोई दूसरों के धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान नहीं कर सकता है। हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं को चोट पहुंचाने की बिल्कुल ही कोई जरूरत नहीं थी। कोर्ट की ओर से कहा गया कि पूरे भाषण को पढ़ने के बाद कोई भी व्यक्ति संदेह में नहीं रहेगा। उनके निशाने पर हिंदू समुदाय है। वह (हिंदू समुदाय को) एक ओर और दूसरी ओर ईसाई और मुसलमान को रख रहे हैं। वह स्पष्ट रूप से एक समूह को दूसरे के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं। यह अंतर केवल धर्म के आधार पर किया गया है।
‘धार्मिक भावनाएं आहत कर छूट नहीं मांग सकते’
अदालत ने कहा कि भारत का धर्म के आधार पर विभाजन हुआ था और उस दौरान दंगों में लाखों लोग मारे गए थे। न्यायाधीश ने कहा, ‘यही कारण है कि हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने नए गणराज्य के मार्गदर्शक सिद्धांत के तौर पर धर्मनिरपेक्षता को अपनाया।’ उन्होंने कहा, ‘वह (पादरी) दूसरों के धर्म का अपमान नहीं कर सकते या उनकी धार्मिक मान्यताओं को चोट नहीं पहुंचा सकते और इसके बाद आईपीसी की धारा 295ए, 153ए, 505(2) को लागू किए जाने से छूट पाने का दावा नहीं कर सकते।’
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