नई दिल्ली। देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को आज भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। विक्रांत देश का पहला पूरी तरह से देश में ही बना स्वदेशी तकनीक से निर्मित एयरक्राफ्ट केरियर है। विक्रांत का नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट केरियर विक्रांत के नाम पर ही रखा गया है, जिसने अपने समय में दुश्मन को आसपास भी फटकने नहीं दिया था।
विक्रांत भारत में बना पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिनके पास खुद का विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है। ऐसे में भारतीय नौसेना के पास चीन के बराबर कुल दो विमानवाहक पोत हो जाएंगे। वर्तमान में एशिया में दो देशों के पास ही विमानवाहक पोत मौजूद हैं। विक्रांत का संस्कृत में अर्थ होता है निडर। भारत में बने अपने तरीके के इस अनूठे एयरक्राफ्ट केरियर विक्रांत का आदर्श वाक्य जयेम सं युधिस्पृध:। संस्कृत भाषा के इस वाक्य का अर्थ है मैं उसको हरा दुंगा जो मुझसे टक्कर लेगाI
करीब 1500 क्रू मैंबर्स की जगह
45 हजार टन वजनी इस एयरक्राफ्ट केरियर की लंबाई 860 फीट की है। इसकी हाइट करीब 194 फीट है। इस पर करीब 14 डैक हैं। ये 56 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकता है। इसके साथ ये करीब 15 हजार किमी की दूरी एक बार में तय कर सकता है। इसमें 196 अधिकारियों के साथ 1449 सेलर जिसमें एयर क्रू मैंबर्स भी शामिल हैं, एक बार में रह सकते हैं।
बराक मिसाइल के साथ कई और हथियारों से लैस
इस पर Selex Ran-40L 3D Lबैंड एयर सर्विलांस राडार सिस्टम लगा है, जो पल पल की जानकारी देता है। इस पर वीएलएस बराक 8 जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल हर तरह से काम में ली जाने वाली कैन Otobreda 76 MM, CIWS क्लोज इन वैपन सिस्ट लगा हुआ है। इसकी खासियत है कि ये शार्ट रेंज मिसाइल का पता लगाकर उसको हवा में ही मार गिराता है। लगभग सभी अत्याधुनिक वारशिप में ये लगा होता है। इस पर करीब 30 फाइटर जेट और हेलीकाप्टर उतर सकते हैं। इसमें एक अस्पताल, महिला अधिकारियों के लिए स्पेशलाइज्ड केबिन, दो फुटबाल ग्राउंड, 23 लोगों के लिए कंपार्टमेंट भी हैं। इसमें लगा जनरेटर करीब 20 लाख लोगों को राशनी दे सकता है।
आपको बता दें कि भारत की समुद्री सीमा करीब 7517 किमी लंबी है जो देश के नौ राज्यों से मिलती है। देश के बंदरगाहों पर सालाना 2000 करोड़ टन से अधिक का सामान हर साल समुद्री रास्ते से विभिन्न बंदरगाहों पर पहुंचता है। ये जहां पर देश को आर्थिक ताकत देता है वहीं इनको लेकर चुनौतियां भी लगातार कोस्ट गार्ड और नेवी के सामने आती रहती हैं। भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए जो सागर नीति या सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फार आल इन द रीजन बनाई गई है उसके लिए जरूरी है कि देश के पास अत्याधुनिक हथियारों और तकनीक से लैस वारशिप और एयरक्राफ्ट केरियर हों।
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