कोच्चि। पीएम मोदी ने भारत के पहले स्वदेशी युद्धपोत आइएनएस विक्रांत को नेवी को सौंप दिया है। केरल के कोच्चि में एक कार्यक्रम में पीएम ने आइएनएस विक्रांत को देशवासियों को समर्पित किया। साथ ही भारतीय नौसेना को गुलामी के निशान से आखिरकार आजादी मिल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना के ध्वज के नए निशान का अनावरण कर दिया है।
मोदी ने कहा कि आइएनएस विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, अपनी एक विकासयात्रा भी है। ये स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। इसके एयरबेस में जो स्टील लगी है, वो स्टील भी स्वदेशी है। छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी। जब अंग्रेज भारत आए, तो वो भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे। इसलिए उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला लिया। इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए।
मोदी ने कहा कि विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यदि लक्ष्य दुरन्त हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियां अनंत हैं- तो भारत का उत्तर है विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है विक्रांत। आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत।
कितने विमानों की है क्षमता
INS विक्रांत पर 30 विमानों का समूह रह सकता है। मिग-29के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर्स, एमएच-60आर मल्टी रोल हेलीकॉप्टर्स और हल्के लड़ाकू विमान शामिल हैं। समुद्र में दुश्मनों को पटखनी देने के लिए इस कैरियर पर ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात हो सकेगी। यह एक मिडियम रेंज मिसाइल है, जिसे सबमरीन, जहाज, कैरियर या धरती से भी लॉन्च किया जा सकता है।
नौसेना का नया ध्वज शिवाजी को समर्पित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना के ध्वज के नए निशान का अनावरण कर दिया है। नौसेना के नए ध्वज से क्रास को हटा दिया गया है। साथ ही नौसैनिक क्रेस्ट को फिर से झंडे में शामिल किया गया है। इस पर लिखा है- शं नो वरुण:। पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि नौसेना ने आज गुलामी का एक निशान अपने सीने से उतार दिया है। अब से छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित निशान नौसेना के ध्वज में लहराएगा। आज में नौसेना के जनक छत्रपति शिवाजी महाराज को नया ध्वज समर्पित करता हूं।’
75 साल बाद भी कई चीजों में गुलामी के दिनों की छाप
पीएम मोदी ने हाल ही में 15 अगस्त को लाल किले की प्रचीर से कहा था कि औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त भारत का सपना वह देख रहे हैं। वहीं, सपना हकीकत में बदलता होता नजर आ रहा है। पीएम मोदी द्वारा नए Ensign (निशान) का अनावरण कोच्चि में किया गया। भारत को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं, लेकिन अब भी कई चीजों में गुलामी के दिनों की छाप नजर आ जाती है। मोदी सरकार की कोशिश इसी छाप को मिटाने की है।
देश के आजाद होने के बाद भारतीय सेना ने ब्रिटिश औपनिवेशक झंडे और बैज का ही इस्तेमाल होता रहा। 26 जनवरी 1950 को ध्वज के पैटर्न में सिर्फ भारतीयकृत में बदला गया था। ध्वज में यूनियन जैक को तिरंगे से बदल दिया गया था। जार्ज क्रास को हूबहू छोड़ दिया गया था। अब इसी को बदल दिया गया है। प्रधानमंत्री ने जिस नए नौसेना ध्वज का अनावरण किया है उसमें झंडे के ऊपरी बाएं कोने में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के साथ लगे सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया गया है। इसके स्थान पर दाएं ओर मध्य में नौसैनिक क्रेस्ट को स्थान दिया गया है।
औपनिवेशिक अतीत को दर्शाता था पुराना चिह्न
नौसेना के पुराने ध्वज में जार्ज क्रास का निशान औपनिवेशिक अतीत को दर्शाता था, जो भारतीय नौसेना के पूर्व-स्वतंत्रता ध्वज की अवधारणा से प्रेरित था। पुराने ध्वज के ऊपरी बाएं कोने पर यूनाइटेड किंगडम के यूनियन जैक के साथ सफेद आधार पर लाल जार्ज क्रास था, जिसे अब बदला गया है। बता दें कि देश के आजाद होने के बाद भारतीय सेना ने ब्रिटिश औपनिवेशक झंडे और बैज का ही इस्तेमाल होता रहा। 26 जनवरी 1950 को ध्वज के पैटर्न को सिर्फ भारतीयकृत में बदला गया था।