नोएडा। ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के बाद भले ही कुछ देर तक धूल हवा में रही हो, लेकिन इससे आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 5 गुना तक बढ़ गया। इसकी वजह से सोमवार को भी लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ हुई। हालांकि सोमवार शाम को हुई बारिश से वायु प्रदूषण से परेशान निवासियों की समस्या काफी हद तक कम हो गई है।
ट्विन टावरों को विस्फोटक से तोड़ने के बाद से आसपास के इलाकों में प्रदूषण की वजह से लोगों में स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं पैदा हो गई हैं। इससे सिरदर्द, अस्थमा, दौरे, सर्दी, कफ और एलर्जी जैसी कई हफ्तों की स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रेटर नोएडा में गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (जीआईएमएस) के निदेशक डॉ राकेश कुमार गुप्ता कहते हैं कि यह प्रभाव कब तक रहेगा, यह कहना मुश्किल है, लेकिन यह सब पर्यावरणीय परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है।
फोर्टिस नोएडा के प्रमुख पल्मोनोलॉजी एंड क्रिटिकल केयर डॉ मृणाल सरकार के अनुसार, जब आप इस तरह की एक बड़ी संरचना को ध्वस्त करते हैं तो धूल होगी और कुछ धुआं होगा क्योंकि आप विस्फोटकों का उपयोग कर रहे हैं। इसलिए, हवा की दिशा मायने रखती है। हवा की दिशा को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
ट्विन टावर गिराए जाने के बाद अब मलबा निस्तारण की प्रक्रिया एक हफ्ते में शुरू होगी। इससे पहले यहां मरम्मत और साफ सफाई की कवायद तेज कर दी गई है। टावर से निकले 80 हजार टन मलबे में से 50 हजार टन बेसमेंट में भरा जाएगा। वहीं बाकी बचे तीस हजार टन मलबे में से आधे का सफाया महीने भर में कर दिया जाएगा।
प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए लागू हो रहे ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) को देखते हुए एक अक्तूबर से पहले ही ज्यादा से ज्यादा मलबे को हटाकर सेक्टर-80 के कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन (सीएंडडी) वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में रिसाइकलिंग के लिए भेजा जाएगा। मलबे को हटाने के लिए 90 दिन का समय निर्धारित है। मलबा हटाने के लिए कंक्रीट और सीमेंट के इन बड़े टुकड़ों को ड्रिलर मशीनों के जरिये तोड़ा जाएगा। इसके बाद डंपरों में लोड कर सीएंडडी प्लांट भेजा जाएगा। इस प्रक्रिया को शुरू करने में एक सप्ताह का समय लगेगा। तकरीबन एक हजार डंपर का इस्तेमाल कर मलबे को सीएंडडी प्लांट भेजा जाएगा।
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