नोएडा। नोएडा में भ्रष्टाचार के ट्विन टावर रविवार को गिरा दिए गए। इसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 26 सरकारी अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। CM ऑफिस से इन अफसरों की लिस्ट भी जारी हो गई है।
नोएडा के सेक्टर 93A में ट्विन टावर को बनाने की शुरुआत 2006 में हुई थी। उस समय मोहिंदर सिंह नोएडा अथॉरिटी में बतौर CEO तैनात थे। लिस्ट में सिंह और उनके बाद नियुक्त हुए पांच CEO के नाम शामिल हैं। इन सभी के कार्यकाल में टावर को बनाने या उसकी ऊंचाई बढ़ाए जाने को मंजूरी दी गई थी। नीचे उन दो आला अफसरों की फोटो दी गई हैं, जिनकी तैनाती के दौरान भ्रष्टाचार के टावर खड़े हुए थे।
यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘जो दोषी होंगे वो बक्शे नहीं जायेंगे। अपने स्तर पर भी देखेंगे और जरूरत पड़ी तो आगे भी अन्य पर भी कार्रवाई होगी।’ CM ऑफिस से जो लिस्ट जारी हुई है, उसमें से अधिकतर अफसर रिटायर हो चुके हैं। तत्कालीन अफसरों के अलावा सुपरटेक लिमिटेड के चार निदेशक और आर्किटेक्ट भी आरोपियों की लिस्ट में शामिल हैं।’
यूपी के अपर मुख्य सचिव बोले- सभी के खिलाफ कार्रवाई होगी
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने कहा भ्रष्टाचार पर एक्शन जारी रहेगा। पहली बार इतना बड़ा निर्माण कराया गया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया है। दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। नोएडा में भ्रष्टाचार की इमारत जमींदोज कर दी गई। इस मामले में शामिल सभी अधिकारियों की लिस्ट तैयार की गई है।
करप्शन टावर हुआ ध्वस्त, अब बारी करप्ट बाबूओं की
भ्रष्टाचार की इमारत ट्विन टावर ध्वस्त हो गई है। अब बारी भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति पर अमल करते हुए इस भ्रष्टाचार में शामिल 26 अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। CM ऑफिस ने जारी की दोषी अधिकारियों की लिस्ट, यह वो अधिकारी है जब ए टावर बन रहा था तब किसी न किसी पद पर नोएडा अथॉरिटी में तैनात थे। ये इनके संरक्षण में ही इस इमारत को 15 मंजिल से 32 मंजिल बनने की बुनियाद रखी गई थी।
आपको बता दें कि इस मामले पर कोर्ट के आदेश के बाद एक उच्च स्तरीय जांच हुई थी जिसमें नोएडा विकास प्राधिकरण के 26 अधिकारियों को ट्विन टावर्स के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार में शामिल होने का दोषी पाया गया था। इसके अलावा सुपरटेक कंपनी के चार निदेशक और दो आर्किटेक्ट भी भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए थे।
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