प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी के रहते हुए अनुकंपा नियुक्ति का लाभ बहन को नहीं दिया जा सकता है। इस पर पहला अधिकार पत्नी का है, बहन को यह अधिकार नहीं है। जहां तक बहन के भरण-पोषण का सवाल है तो उसके लिए वह अन्य नियमों के तहत दावा करने के लिए स्वतंत्र है। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने कानपुर की कुमारी मोहनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याची की ओर से कहा गया कि उसके पिता नगर निगम कानपुर में सफाई कर्मचारी थे। ड्यूटी के दौरान उनकी मौत हो गई। पिता की मौत के बाद उसके भाई को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की गई लेकिन नौकरी के दौरान उसकी भी मृत्यु हो गई। पूरा परिवार भाई पर निर्भर था। लिहाजा अनुकंपा नियुक्ति के तहत उसे नौकरी प्रदान की जाए। इस बारे में उसने एक दिसंबर 2021 को नगर निगम कानपुर के समक्ष अपना प्रत्यावेदन भी दिया।
याची ने कोर्ट से उसके प्रत्यावेदन पर सुनवाई करके निस्तारण करने के लिए नगर निगम को निर्देश देने की मांग की। हालांकि सरकारी अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। कोर्ट ने भी पाया कि यूपी रिक्रूटमेंट आफ डिपेंडेंट्स आफ गवर्नमेंट सर्वेंट डाइंग इन हार्नेस 1974 के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि भाई की मौत के बाद बहन को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए। कोर्ट ने कहा कि यह अधिकार पहले पत्नी को है। उक्त मामले में भाई की पत्नी ने अनुकंपा नियुक्ति का दावा कर रखा है। लिहाजा बहन की ओर से अनुकंपा नियुक्ति की मांग सही नहीं है।
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