दिल्ली। राजधानी दिल्ली के बक्करवाला इलाके के ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स में रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाने के फैसले पर विवाद खड़ा हो गया। इस पूरे प्रकरण में अब गृह मंत्रालय ने सफाई दी है। कहा कि नई दिल्ली के बक्करवाला में रोहिंग्या अवैध प्रवासियों को ईडब्ल्यूएस फ्लैट उपलब्ध कराने का कोई निर्देश नहीं दिया गया है।
बुधवार सुबह केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर लिखा, ‘भारत ने हमेशा उन लोगों का स्वागत किया है, जिन्होंने देश में शरण मांगी है। एक ऐतिहासिक फैसले में सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाके में ईडब्ल्यूएस फ्लैटों में ट्रांसफर किया जाए जाएगा। वहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं, यूएनएचसीआर आईडी और 24 घंटे दिल्ली पुलिस का संरक्षण दिया जाएगा।’
इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया में हंगामा मच गया। लोग पूछने लगे कि जहाँ पाकिस्तान से आए हिन्दू-सिख शरणार्थी इन सुविधाओं से दूर बेबस रह रहे हैं, ऐसे में रोहिंग्यों पर इतनी दया क्यों?
‘विश्व हिन्दू परिषद (VHP)’ ने इस कदम की कड़ी निंदा की। संगठन ने कहा कि रोहिंग्या मुस्लिमों को बसाने की जगह उन्हें देश से बाहर निकाला जाना चाहिए। वीएचपी के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा कि संगठन केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के बयान से हतप्रभ है, जिसमें उन्होंने रोहिंग्या को ‘प्रवासी’ कह कर सम्बोधित किया है और दिल्ली के बक्करवाला में उन्हें फ्लैट्स देने की घोषणा की है।
उन्होंने इस दौरान 10 दिसंबर, 2020 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में दिए गए बयान की भी याद दिलाई, जिसमें उन्होंने कहा था कि रोहिंग्या को कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। VHP ने स्पष्ट किया कि रोहिंग्या प्रवासी नहीं, बल्कि घुसपैठिए हैं। आलोक कुमार ने याद दिलाया कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में डाली गई एफिडेविट में भी यही बताया है। उन्होंने ये भी ध्यान दिलाया कि पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थी अभी भी मजनू का टीला में अमानवीय तरीके से अपना जीवन जी रहे हैं।
वहीं अब गृह मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली सरकार ने रोहिंग्याओं को एक नए स्थान पर स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा था। गृह मंत्रालय ने कहा कि रोहिंग्या वर्तमान स्थान पर बने रहेंगे क्योंकि MHA पहले ही विदेश मंत्रालय के माध्यम से संबंधित देश के साथ अवैध विदेशियों के निर्वासन का मामला उठा चुका है।
मंत्रालय के अनुसार, अवैध विदेशियों को कानून के अनुसार उनके निर्वासन तक डिटेंशन सेंटर में रखा जाना है। दिल्ली सरकार ने वर्तमान स्थान को डिटेंशन सेंटर घोषित नहीं किया है। उन्हें तत्काल ऐसा करने के निर्देश दिए गए हैं।
Discussion about this post