लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कई विभागों में तबादला को लेकर काफी किरकिरी के बीच में अब स्थानांतरण की अवधि भी समाप्त हो गई है। लोक निर्माण विभाग, चिकित्सा विभाग और शिक्षा विभाग में हुए तबादलों के लेकर किरकिरी के बाद योगी सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए लागू की गई ट्रांसफर पॉलिसी को समाप्त कर दिया है।
प्रदेश में अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अनुमति के बाद ही किसी भी कर्मचारी या अधिकारी का ट्रांसफर हो सकेगा। प्रदेश में ट्रांसफर की अवधि समाप्त होने के बाद भी पहले तो वर्ग ए तथा बी के तबादले के लिए ही मुख्यमंत्री से अनुमोदन की जरूरत पड़ती थी। इस बार तो समूह ग तथा घ के किसी भी कर्मचारी के तबादले के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अनुमोदन अनिवार्य कर दिया गया है। यानी कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने तबादलों की बागडोर पूरी तरह से अपने हाथ में ले ली है।
इसको लेकर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने मंगलवार को शासनादेश भी जारी कर दिया है। इस आदेश में कहा गया है कि प्रदेश में स्थानांतरण की अवधि समाप्त होने के बाद किसी भी कर्मचारी के तबादले के लिए मुख्यमंत्री का अनुमोदन जरूरी होगा। माना जा रहा है कि प्रदेश के करीब 25 लाख कर्मियों पर इस आदेश का असर होगा।
दरअसल यूपी के स्वास्थ्य विभाग में 30 जून को अचानक से कई ट्रांसफर किए गए थे, जिसे लेकर खुद उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने सवाल उठाए थे और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को पत्र लिखकर जवाब तलब किया था। इसके बाद पीडब्लूडी विभाग और शिक्षा विभाग में भी बड़े पैमाने पर तबादलों को लेकर अनियमितताएं सामने आईं थीं, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने खुद मामले का संज्ञान लेते हुए जांच बैठाई थी। इस मामले में अभी तक कई अफसरों पर गाज गिर चुकी है, जबकि कई अन्य राडार पर हैं।
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