गाजियाबाद। सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को सीमा विवाद में घंटों घुमाने वाले तत्कालीन मसूरी एसएचओ राघवेंद्र सिंह पर एक बार फिर गाज गिरी है। विभागीय जांच में लापरवाही के दोषी पाए जाने पर एसएसपी ने इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर कर दिया है। वह कुछ समय पहले ही कौशांबी एसएचओ बने थे। एसपी सिटी प्रथम निपुण अग्रवाल इंस्पेक्टर के खिलाफ विभागीय जांच कर रहे थे। विभागीय जांच के आधार पर इंस्पेक्टर पर कार्रवाई होना बाकी है।
इंदिरापुरम क्षेत्र के एक मॉल में नौकरी करने वाली युवती 25 फरवरी 2021 की रात को ड्यूटी से लौट रही थी। विजयनगर बाईपास आकर वह लालकुआं के लिए ऑटो में बैठी। उसमें चालक समेत चार लोग थे। एक युवक रास्ते में उतर गया। इसके बाद चालक व दो अन्य लोग उसे लालकुआं ओवरब्रिज के ऊपर से ही ले जाने लगे। विरोध करने पर युवती का मुंह बंद कर उसे जंगल में ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म किया। पीड़िता रात साढ़े 11 बजे मसूरी थाने पहुंची लेकिन कार्रवाई की बजाय पुलिस सीमा विवाद में उलझी रही।
पीड़िता जैसे-तैसे रात साढ़े 11 बजे मसूरी थाने पहुंची लेकिन कार्रवाई की बजाय मसूरी पुलिस सीमा विवाद में उलझी रही। चार घंटे तक पीड़िता को यहां से वहां घुमाया और फिर पिलखुवा क्षेत्र में घटना होने की बात कही। तड़के करीब साढ़े 3 बजे मसूरी पुलिस ने हापुड़ पुलिस को सूचना दी।
इस पूरे प्रकरण में गौर करने वाली बात यह है कि मसूरी एसएचओ राघवेंद्र सिंह ने उच्चाधिकारियों को घटना की कोई सूचना नहीं दी। इसी लापरवाही के चलते तत्कालीन एसएसपी कलानिधि नैथानी ने उन्हें सस्पेंड कर विभागीय जांच के आदेश दिए थे।
लेकिन निलंबन के कुछ महीनों बाद राघवेंद्र सिंह बहाल कर दिए गए जबकि उनके खिलाफ विभागीय जांच जारी रही। इस दौरान वह साइड लाइन रहे। हालांकि, किसी तरह जुगत लगाकर राघवेंद्र सिंह कौशांबी एसएचओ बन गए। चार्ज पर डेढ़ माह भी पूरा नहीं हुआ था कि विभागीय जांच में दोषी पाए गए जिसके चलते एसएसपी ने राघवेंद्र सिंह को थाने से हटाकर लाइन हाजिर कर दिया।
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