श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार ने बिट्टा कराटे की पत्नी सहित चार सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। इन चारों को आतंकियों से संबंधों के कारण सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया।
फारूक अहमद दार उर्फ बिट्टा कराटे वर्तमान में आतंक-वित्त पोषण के मामलों में जेल में है।जम्मू और कश्मीर प्रशासनिक सेवा की अधिकारी उसकी पत्नी असबाह अर्जुमंद खान ग्रामीण विकास निदेशालय में तैनात थी। उद्योग और वाणिज्य विभाग में सूचना और प्रौद्योगिकी के प्रबंधक सैयद अब्दुल म्यूद, सैयद सालहुद्दीन का बेटा है। जो प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का प्रमुख है। जिन दूसरों लोगों को बर्खास्त किया गया है उनमें डॉ. मुहित अहमद भट, (वैज्ञानिक) और कश्मीर विश्वविद्यालय में नियुक्त माजिद हुसैन कादिरी (वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर) शामिल हैं।
बिट्टा कराटे ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा की अधिकारी से की शादी
फारूक अहमद डार का नाम बिट्टा कराटे इसलिए पड़ा क्योंकि वह मार्शल आर्ट में ट्रेंड था। कराटे पुराने शहर श्रीनगर के गुरु बाजार इलाके में बड़ा हुआ, जो 1990 के दशक में उग्रवाद का केंद्र था। उसने हाई स्कूल छोड़ दिया, जिसमें कई पंडित शिक्षक थे। बिट्टा कराटे ने 2011 में कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) की अधिकारी असबाह अर्जुमंद खान से शादी की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, खान भी बिट्टा की प्रशंसक थी। उन्होंने कहा था कि अगर वह सरकारी अधिकारी नहीं होती तब भी वह बिट्टा से शादी कर लेती।
1990 में 1 लाख से ज्यादा कश्मीरी पंडितों को उनका ही घर छोड़ने पर मजबूर किया गया था। उन्हें रातोरात बेघकर कर दिया गया था। कश्मीर में लोगों की हत्याएं और दहशत फैलाने का काम 1989 से ही शुरू हो था। बिट्टा कराटे उर्फ फारूक अहमद डार उस वक्त घाटी में दहशत का दूसरा नाम बन गया था। वह कश्मीरी पंडितों को खोज-खोजकर मारता था।
एक इंटरव्यू में बिट्टा ने बताया था कि पहला खून उसने सतीश का किया था। बिट्टा ने यह भी बताया था कि वह पिस्तौल से मारता था। अक्सर अकेले मर्डर करने निकलता था और नकाब नहीं पहनता था। वहां के लोग उसका साथ देते थे। उसने जेकेएलएफ नेताओं के आदेश पर 20 पंडितों को मारने की बात कैमरे पर स्वीकार की थी। हालांकि, बाद में कराटे ने इसका खंडन करते हुए कहा कि उसने दबाव में यह बयान दिया।
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