नई दिल्ली। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने के बावजूद पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के दाम में संशोधन पर रोक लगाने का असर पेट्रोलियम कंपनियों पर दिखने लगा है। इस वजह से चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड का लाभ प्रभावित होगा।
रेटिंग एजेंसी फिच ने बुधवार को रिपोर्ट में कहा, सार्वजनिक क्षेत्र के खुदरा ईंधन विक्रेताओं ने चार महीने से अधिक समय से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। उच्च महंगाई को काबू में करने को सरकार की कोशिशों में मदद के लिए ऐसा किया गया। इससे इन कंपनियों की रिफाइनिंग मार्जिन पर असर पड़ा है।
महामारी पूर्व स्तर पर पहुंची ईंधन की बिक्री
फिच ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून में ईंधन की बिक्री महामारी पूर्व स्तर पर पहुंच गई। इससे तीनों कंपनियों की रिफाइनरी मार्जिन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई थी। हालांकि, कुल मुनाफा प्रभावित हुआ। हिंदुस्तान पेट्रोलियम को 11,900 करोड़ और भारत पेट्रोलियम को 4,900 करोड़ का नुकसान हुआ। इस दौरान इंडियन ऑयल के मुनाफे पर भी असर देखने को मिला।
2023-24 से सुधरने लगेगी कंपनियों की स्थिति
रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गैसोलीन (पेट्रोल), गैसोइल (डीजल) और तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की कीमतें बढ़ाने पर लगी रोक के कारण 2022-23 के दौरान भारतीय पेट्रोलियम विपणन कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ सकता है। हालांकि, वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने से वित्त वर्ष 2023-24 से मुनाफे के मोर्चे पर इन कंपनियों की स्थितियों में सुधार होने लगेगा।
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