लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हिंदू युवा वाहिनी की की सभी इकाइयां भंग कर दी गई हैं। इस संगठन के संरक्षक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, इसके प्रदेश महामंत्री डॉ पीके मल्ल और प्रदेश अध्यक्ष राकेश राय थे।
यह फैसला संगठन के पदाधिकारियों की बैठक में तय किया गया है। इस संगठन से मिलते-जुलते नाम वाले कई संगठन बन गए। ऐसे में तमाम तरह के गलत काम किए जाने की शिकायत सीएम को मिलने लगी थी। हिंदू युवा वाहिनी संगठन की नींव खुद योगी आदित्यनाथ ने रखी थी। इसकी शुरुआत गोरखपुर में करीब 20 साल पहले हुई। योगी आदित्यनाथ का खुद भी गोरखपुर से गहरा संबंध है। वह गोरखपुर मठ के महंत हैं और वहां से सांसद भी चुने गए। योगी आदित्यनाथ का अध्यात्म की दुनिया से राजनीति में आना गोरखपुर और यहां बनी हिंदू यूवा वाहिनी से ही संभव हुआ।
संगठन और स्वयं आदित्यनाथ 2007 में सांप्रदायिक तनावों के केंद्र में आ गए। प्रशासन ने तब के सांसद को उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब उन्होंने एक मुसलमान के हाथों कथित तौर पर एक हिंदू व्यक्ति की हत्या पर, एक शोक सभा आयोजित करने पर जोर दिया। उनकी गिरफ्तारी से सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी, जो गोरखपुर से बाहर निकलकर पूर्वी यूपी के वाराणसी जैसे अन्य हिस्सों में फैल गई।
लेकिन 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में, जब बीजेपी भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई और पार्टी आलाकमान ने आदित्यनाथ को सरकार की अगुवाई के लिए चुना, तो हिंदू युवा वाहिनी मुख्यधारा से गायब ही हो गई। नए लोगों के संगठन में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था, ताकि युवा वाहिनी के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी को रोका जा सके। योगी आदित्यनाथ ने संगठन को भंग करने का निर्देश दे दिया था लेकिन छिटपुट तौर पर इसकी कई इकाइयां काम कर रही थीं।
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